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साक्षर भारत योजना में मध्यप्रदेश को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार, हकीकत में प्रदेश के गाँवों में पानी , बिजली और भवन की दरकार


 
 
संदीप कुलश्रेष्ठ
     हाल ही में मध्यप्रदेश को साक्षरता के क्षेत्र में तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु और मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने साक्षर भारत योजना में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले राज्य , जिला और राज्य संसाधन केंद्र का पुरस्कार मध्यप्रदेश को दिए हैं। ये वास्तव में गौरव की बात है। किंतु असलियत कुछ और ही है। अभी भी प्रदेश के ऐसे अनेक गाँव हैं जहाँ के स्कूलों में बच्चों को न तो पीने का पानी मिल रहा है और न ही बिजली। इतना ही नहीं , अनेक ऐसे भी स्कूल हैं , जिन्हें अभी तक खुद का भवन भी नसीब नहीं हुआ है। 
मुरैना के नगर निगम क्षेत्र के हैं ये हाल - 
             गाँव की बात छोड़ दें । आईये, आपको ले चलते हैं प्रदेश के मुरैना के नगर निगम क्षेत्र के एक स्कूल की ओर । यहाँ नौनिहालों के लिए स्कूल भवन ही नहीं है। बच्चे घास फूस की झोपड़ी में पढ़ रहे हैं। यह हाल है नगर निगम क्षेत्र के पुन्ना का पुरा क्षेत्र के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय का । यहाँ 30 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल का खुद का भवन नहीं है। बच्चों के पढ़ने के उत्साह को देखते हुए क्षेत्र के ही शिवचरण कुशवाह ने बच्चों के लिए अपने घर के पास ही घास फूस की झोपड़ी बनाकर दे रखी है। उसी में स्कूल चल रहा है। यहाँ एक ही शिक्षक हर दिन कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाता है। बारिश में इन बच्चों का झोपड़ा टपकने लगता है , तो स्कूल बंद हो जाता है। संबंधित अफसर कहते है सरकार को स्कूल भवन का प्रस्ताव भेज दिया है। पता नहीं यह प्रस्ताव अभी कहाँ धूल खा रहा है ! 
उज्जैन जिले के ग्राम बैजनाथ के हालात -
                आईये ,अब आपको ले चलते हैं उज्जैन जिले के महिदपुर विकासखंड के ग्राम बैजनाथ के शासकीय माध्यमिक विद्यालय । इस स्कूल में न तो पीने का पानी है और न ही बिजली। इस विकासखंड के 387 सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ऐसे में गर्मी के मौसम में बच्चे पसीने से तरबतर होकर पढ़ते हैं। और बारिश के मौसम में घने बादल होने पर रोशनी कम होने से बमुश्किल पढ़ाई कर पाते हैं। इस विकासखंड के कुछ स्कूलों में बिजली कनेक्शन है भी तो वहाँ भी राशि के अभाव में बिजली लाइन काट दी गई है। वहाँ अंधेरा व्याप्त है । यह सहज ही सोचा जा सकता है कि जहाँ हम कम्प्यूटर से पढ़ाई की बात करते हैं पर जहाँ बिजली ही नहीं है वहाँ कम्प्यूटर की बात ही बेमानी है। इस विकास खंड में केवल 4 से 6 स्कूल ही ऐसे है , जहाँ बिजली की व्यवस्था है। इसमें झारड़ा कन्याशाला का विद्युत कनेक्शन राशि के अभाव में काट दिया गया है। महिदपुर के शिक्षा विभाग के बी आर सी अधिकारी यह कहते हुए अपना पल्ला झाड लेते हैं कि स्कूलों में बिजली मुहैया करवाना शासन का काम है । 
                  मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी स्कूलों में बिजली नहीं होने की बात पर यह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में एक लाख सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में बिजली व्यवस्था नहीं है। अगले वर्ष में सौर ऊर्जा के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में बिजली व्यवस्था के प्रयास किए जाएंगे। मंत्री जी एक वर्ष बाद बिजली की व्यवस्था की बात कह रहे है , तब तक बच्चे भगवान भरोसे रहेंगे।                   
                  महिदपुर तहसील के ही ग्राम बैजनाथ के सरकारी स्कूल में पानी की कोई सुविधा नहीं है। स्कूल के बच्चे गाँव के ही एक हेडपंप से अपनी प्यास बुझाते है। दुखद बात यह है कि गर्मी के दिनों में हेडपंप सुख जाने के कारण प्यास से बच्चो का बुरा हाल हो जाता है।   
                  साक्षरता के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना अच्छी बात है, किंतु अभी भी मध्यप्रदेश में स्कूलों में पानी और बिजली की मूलभूत सुविधा के साथ ही स्कूल भवन होना भी जरूरी है। इसके साथ ही यह भी देखना आवश्यक है कि मात्र एक शिक्षक के भरोसे कक्षा एक से 5 वीं तक के बच्चों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इससे निश्चित रूप से नीवं ही कमजोर बनेगी। उस पर भवन बनाने की बात करना बेमानी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि उनके भांजे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इधर भी वे ध्यान दें।
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