ब्लू व्हेल चैलेंज पर तत्काल सख्त प्रतिबंध लगाया जाए
डॉ. चंदर सोनाने
एक खतरनाक ब्लू व्हेल चैलेंज दुनियाभर में सैकड़ों जान लेने के बाद अब मध्यप्रदेश मे भी पहुँच गया है। मध्यप्रदेश के दमोह में ब्लू व्हेल का आखिरी टास्क पूरा करने के लिए पिछले दिनों ट्रेन के आगे घुटने टेककर एक छात्र बैठ गया और उसने मौत को गले लगा लिया। इस प्रकार दमोह जैसे छोटे शहरों में भी यह सुसाइड गेम पहुँच गया है। दमोह के 11 वीं के छात्र सात्विक ने सुसाइड गेम ब्लू व्हेल खेलते हुए आत्महत्या कर ली थी। प्रदेश में इस सुसाइड गेम से यह पहली मौत है। देशभर में अभी तक 5 लोग इस चैलेंज को पूरा करने के चक्कर में अपनी जान गवाँ चुके हैं। पूरे संसार में इस गेम से अभी तक 250 से अधिक बच्चों ने अपनी जान दे दी है।
हमारे देश में बड़े शहरों में ही नहीं ,बल्कि छोटे कस्बों तक इस सुसाइड गेम के पहुँचने के कारण हालात दिनों दिन खतरनाक होते जा रहे हैं। राज्य सरकार के साथ ही केंद्र को भी चाहिए कि वह इस खतरनाक ब्लू व्हेल गेम पर तत्काल सख्ती से प्रतिबंध लगाए। मध्यप्रदेश के ही 27 शहरों में पिछले सात दिन के अंदर यह गेम कई बार सर्च किया गया । आष्चर्यजनक रूप से छतरपुर में सबसे ज्यादा बच्चों ने इसे सर्च किया। इंदौर , भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों के साथ ही यह गेम छतरपुर, शहडोल, कटनी, होशंगाबाद , भिंड , शिवपुरी, सतना, खरगौन जैसे छोटे शहरों में भी यह गेम सर्च किया गया। यह अत्यंत खतरनाक संकेत है। इस पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है।
गूगल सर्च के मुताबिक इस जानलेवा ब्लू व्हेल गेम खोजने में दुनिया के टॉप 10 शहरों में से आश्चर्यजनक रूप से भारत के 7 शहर शामिल है। गत 30 अगस्त तक गूगल सर्च के ट्रेंड से मिले आंकड़ों के अनुसार कोच्चि में नेट पर यह गेम दुनिया में सबसे ज्यादा सर्च किया गया। साल भर में कोच्चि में इसकी सौ गुना ज्यादा बार सर्चिंग हुई है। इस गेम को सर्च करने में तिरूवनन्तपुरम देश में दूसरे और कोलकाता तीसरे स्थान पर है। बैंगलुरू छठे स्थान पर है। टॉप 10 शहरों में से अन्य भारतीय शहरों में गुवाहाटी, मुंबई और दिल्ली भी शामिल है। भारत के अलावा अन्य देशों के तीन षहर सैन-ऐंटोनियो, नैरोबी, और पेरिस शामिल है। आश्चर्यजनक रूप से सर्च करने वाले पाँच देशो मे भारत चौथे नंबर पर है।
वास्तव में ब्लू व्हेल चैलेंज कोई गेम ही नहीं है , बल्कि यह एक जाल है। टीन एजर इसे गेम मानकर इसके जाल में आसानी से फँस जाते हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर लगातार ब्लू व्हेल चैलेंज तलाषा जा रहा है। वास्तव में यह न तो कोई गेम है और न ही कोई ऐप है बल्कि आपराधिक किस्म के लोगों का एक जाल है, जो दुनियाभर में 250 से अधिक जाने ले चुका है। बच्चे नासमझी में आसानी से इसके शिकार बन जाते हैं।
ब्लू व्हेल चैलेंज के पीछे रूस के मास्को के साइकोलॉजी स्टूडेंट फिलिप बुडेईकिन का दिमाग है। उसे गिरफ्तार किया जा चुका है और वो जेल में तीन साल की सजा काट रहा है। गिरफ्तारी के बाद फिलिप ने कहा था कि गेम का मकसद समाज की सफाई करना है। उसकी नजर में आत्महत्या करने वाले सभी व्यक्ति समाज के लिए बायो वेस्ट अर्थात समाज के लिए गैर जरूरी लोग थे।
ब्लू व्हेल चैलेंज से पहली मौत का मामला सन 2015 में सामने आया था । इसमें एडमिन की और से खिलाडी को रोज 50 दिन तक अलग अलग टास्क दिए जाते हैं । टास्क पूरा होने पर उसे शेयर कर टास्क पूरा होने का सबूत देना होता है। शुरूआती टास्क तो आसान होते हैं , लेकिन धीरे धीरे ये टास्क मुश्किल होते जाते हैं। आखिर में प्लेयर को ऐसे टास्क तक पहुंचा दिया जाता हैं जहाँ वह गेम के एडमिन के आखिरी टास्क के लिए आत्महत्या के लिए तैयार हो जाता है।
मद्रास हाईकोर्ट ने इस संबंध में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण विभाग के सेक्रेटरी और होम सेक्रेटरी को हाल ही में नोटिस जारी किए है। उनसे कहा गया है कि वे ब्लू व्हेल चैलेंज को बैन करने का तरीका खोजे। हाईकोर्ट ने आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर से भी कहा है कि वो भी यह बताए की इस तरह के आनलाइन गेम पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। पिछले दिनों सरकार ने भी इंटरनेट की बड़ी कंपनियों गूगल, फेसबुक, व्हाटसएप, इंस्टाग्राम , माइक्रोसॉफ्ट और याहू को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि इस गेम को सभी कंपनियाँ अपने प्लेटफॉर्म से हटा दें।
केंद्र सरकार के प्रयास करने के बावजूद भी यह गेम देश के बडे शहरों से होता हुआ देष व प्रदेश के छोटे शहरो तक पहुँच गया है। इसलिए अब यह और जरूरी हो गया है कि केंद्र सरकार आईटी विशेषज्ञों से सलाह मशवरा कर यह सुनिश्चित करें कि देश में कोई भी इस गेम को खेल ही ना पाएँ।
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