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क्षमा मांगना और क्षमा करना कमजोरी नहीं बल्कि साहस


 

कभी-कभी लोग सोचते हैं कि क्षमा मांगने से वह कमजोर माने जाएंगे, जबकि क्षमा मांगना और क्षमा करना कमजोरी नहीं बल्कि साहस की निशानी है। जीवन में कितनी भी परेशानी आ जाए लेकिन लोगों से गुस्से में नहीं बल्कि आंखें झुकाकर मिलना चाहिए।

उक्त विचार आचार्य विशुद्धसागर ने कांच मंदिर में समग्र दिगंबर जैन समाज के सामूहिक क्षमावाणी पर्व में व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि जब भी घर से बाहर निकलो तो सभी से क्षमा मांगकर निकलना चाहिए। जैसे पेड़ से पत्ता गिरकर फिर कभी नहीं मिलता, ऐसे ही जीवन बहुत अनिश्चित है।

किसी के प्रति गलत भाव लेकर और क्रोध देकर विदा नहीं करना चाहिए। जो हुआ उसे वहीं छोड़ दो। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद मंत्री जयंत मलैया से कहा कि राजनीति में भले ही दुश्मन के साथ दुश्मनी मानी जाती है पर धर्म में दुश्मन से भी प्रेम किया जाता है।

निजानंदसागर ने कहा कि तुम छोटे हो तो क्षमा मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। बड़े हो तो क्षमा करने में संकोच नहीं होना चाहिए। क्षमा से ही व्यक्ति निरंतर ऊंचाइयों पर पहुंचता है। समाजजन ने एक-दूसरे से हाथ जोड़कर उत्तम क्षमा मांगी। प्रदीपसिंह कासलीवाल, राजकुमार पाटोदी, आजाद जैन, टीके वेद, संजीव जैन संजीवनी, नकुल पाटोदी, सुनील जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।

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