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मूर्ति में से आती है मधुर-मधुर आवाजें


उज्जैन। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भगवान विष्णु के चार स्वरूपों वाली दुनिया की दुर्लभ मूर्ति 11 तालों में कैद रहती है। शिल्पशास्त्र की दृष्टि से यह अत्यंत दुर्लभ और महत्वपूर्ण है। इसे सुरक्षित रखने के लिए मंदिर के चार द्वारों पर हमेशा 11 ताले लगे रहते हैं। पुरातत्व विभाग की अनुमति के बाद ही इसके द्वार दर्शनार्थियों के लिए खोले जाते हैं।

उज्जैन का यह विष्णु चतुष्टिका मंदिर है। पुरातन महत्व की मूर्ति की सुरक्षा के लिहाज दर्शनार्थियों को जाली वाले दरवाजे से ही दर्शन करना पड़ते हैं।

यह मंदिर प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर रोड स्थित गढ़कालिका मंदिर के पास है। मंदिर बहुत साधारण आयताकार है, जिसमें चार द्वार हैं। तीन द्वारों में तीन-तीन और एक द्वार में दो ताले हमेशा लगे रहते हैं। मंदिर की सुरक्षा के लिए चौकीदार और रात को सुरक्षा गार्ड भी तैनात रहते हैं ताकि मूर्ति को कोई क्षति न पहुंचा सके। विशेष अनुमति पर ही मंदिर के ताले खोले जाते हैं।

मूर्ति से आती हैं आवाजें
इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि प्रस्तर (पाषाण) से अलग-अलग मधुर आवाजें आती हैं। मूर्ति के हाथों और शंख आदि को धीरे से ठोकने पर ये आवाजें निकलती हैं। मप्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 के अंतर्गत इसे राजकीय महत्व का घोषित किया गया है।

इसलिए विष्णु चतुष्टिका
- भगवान विष्णु की मूर्ति 9 वीं शताब्दी की है, जो पद्मासन में है।
- विष्णु के चार स्वरूप- वासुदेव, संकर्षण, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न होने से इसे विष्णु चतुष्टिका कहते हैं।
- इसमें पांच वीरों- वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध और साम्व का अंकन है।
- इन वीरों का उल्लेख बृहत्संहिता, विष्णु धर्मोत्तर विष्णुपुराण में भी मिलता है।

विशेष अनुमति पर ही खुलते हैं ताले
विष्णु चतुष्टिका की मूर्ति दुर्लभ है। मूर्ति से मधुर आवाजें भी निकलती हैं। मूर्ति को कोई क्षति न पहुंचे इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से चारों द्वारों पर ताले लगाए हैं। विशेष अनुमति पर दर्शन के लिए ताले खोलते हैं। 

-घनश्याम बाथम, वरिष्ठ मार्गदर्शक पुरातत्व संग्रहालय, पुरातत्व विभाग, उज्जैन

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