देश की अर्थव्यवस्था पर मार, नीचे गिरा जीडीपी का स्तर
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में देश की विकास दर पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल से जून के बीच पहली तिमाही में जीडीपी की रफ्तार 5.7 फीसदी रही, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत पर थी। जबकि गत वित्त वर्ष में अप्रैल जून के दौरान यह 7.9 प्रतिशत थी। इस हिसाब से विकास दर में 2.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछला निचला स्तर जनवरी-मार्च 2014 की तिमाही में 4.6 फीसदी रहा था।
6.1 रहने की उम्मीद थी
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा गुरुवार को ये आंकड़े जारी किए गए। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.7 प्रतिशत की वृद्घि दर के साथ 31.10 लाख करोड़ रुपए की रही। यह बाजार की उम्मीदों के विपरीत है। उम्मीद थी कि यह पिछली तिमाही के स्तर 6.1प्रतिशत से ज्यादा रहेगी।
इसलिए गिरी विकास दर
-सरकार ने हालांकि 1 जुलाई को जीएसटी लागू किया था, लेकिन इसे लेकर काफी पहले से बाजार में अनिश्चितता फैल गई थी।
-निर्माण, उत्पादन व अन्य क्षेत्रों में कामकाज ठप-सा हो गया।
-नोटबंदी के कारण नकदी की तंगी से उद्योग-धंधों पर असर पड़ा।
छीना सबसे तेज विकास दर का तमगा, चीन आगे
भारत की विकास दर में लगातार मार्च 2016 से गिरावट आ रही है। तब देश की विकास दर 9.1 प्रतिशत थी। भारत का विश्व में सबसे तेज विकास दर का तमगा भी छिन गया क्योंकि अप्रैल से जून 2017 के दौरान चीन की विकास दर 6.9 प्रतिशत रही, जबकि भारत की 5.7 प्रतिशत।
आयकर ने गिनाए नोटबंदी के लाभ
एक करोड़ से ज्यादा की 14 हजार प्रॉपर्टी जांच के घेरे में रिजर्व बैंक द्वारा नोटबंदी के आंकड़े जारी करने के बाद आयकर विभाग ने इसके फायदे गिनाए हैं। गुरुवार को विभाग ने बयान जारी कर कहा कि देश में एक करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य की 14,000 संपत्तियां जांच के घेरे में हैं। इनके मालिकों ने आयकर रिटर्न दायर नहीं किए हैं।
विभाग ने कहा कि 31 जनवरी से शुरू किए गए "ऑपरेशन क्लीन मनी" से यह खुलासा हुआ है। आयकर विभाग के अनुसार इस दौरान 15,496 करोड़ रुपए की बेहिसाबी कमाई कर दाताओं ने कबूली, जबकि छापों व जांच में 13,920 करोड़ रुपए की जब्ती की गई।
ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण में उन 18 लाख संदिग्ध खातों की पड़ताल की गई, जिनका नकद लेन-देन जमाकर्ता की टैक्स प्रोफाइल से मैच नहीं खा रहा था। मात्र चार हफ्ते में इसका ऑनलाइन सत्यापन किया गया। पड़ताल में पाया गया कि 9.72 लाख लोगों के 13.33 लाख बैंक खातों में 2.89 लाख करोड़ रुपए असामान्य ढंग से जमा किए गए हैं। इन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। आगे की जांच प्रगति पर है।
17 फीसदी रिटर्न और 1.26 करोड़ करदाता बढ़े
-वित्त वर्ष 2016-17 में इलेक्ट्रॉनिक व कागजी रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या 17.3 फीसदी बढ़कर 5.43 करोड़ हो गई।
-30 जून 2017 तक करदाताओं की संख्या में भी 1.26 करोड़ का इजाफा हुआ। बढ़ी प्रत्यक्ष कर वसूली
-41.79 प्रतिशत बढ़ गई नोटबंदी के बाद वैयक्तिक आयकर वसूली।-34.35 प्रतिशत बढ़ी वैयक्तिक आयकर की स्वकर आकलन वसूली।
नोटबंदी के कारण जीडीपी नहीं गिरी है। जीएसटी से पहले कंपनियों द्वारा पुराना स्टॉक क्लियर करने व मौजूदा स्टॉक की नए सिरे से लैबलिंग के कारण यह गिरावट आई। -टीसीए अनंत, मुख्य सांख्यिकी