न्यायालय के तीन ऐतिहासिक फैसले
डॉ. चंदर सोनाने
अगस्त माह का अंतिम सप्ताह न्यायालय के नाम रहा। इस सप्ताह में न्यायालय द्वारा तीन ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इन फैसलों ने अपने अपने क्षेत्रों में मिसाल कायम की। 22 अगस्त 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम महिलाओं को पति द्वारा कभी भी दिए गए तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला देकर उसे हमेशा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। 25 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कल 28 अगस्त को सीबीआई जज जगदीप सिंह ने साधु के भेष में शैतान बने गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा देकर दुष्कर्म पीड़ित दो साध्वियों को इंसाफ दिलाया।
1400 सालों से मुस्लिम समाज में चली आ रही तीन तलाक की परंपरा को हमेशा हमेशा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को रद्द कर दिया। अब मुस्लिम महिलाएँ तीन तलाक के डर से हमेशा हमेशा के लिए आजाद हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया पाँच निडर मुस्लिम महिलाओं के प्रकरण पर । इन साहसी महिलाओं में काशीपुर की सायरा बानो , जयपुर की आफरीन रहमान, सहारनपुर की आतिया साबरी, रामपुर की गुलशन परवीन और हावड़ा की इशरत जहां शामिल है। इन पाँचों निडर महिलाओं ने अपने पति और समाज के विरूद्ध जाकर न्यायालय में पक्ष रखकर अन्य सभी महिलाओं के लिए मिसाल कायम की। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक फैसले में सभी धर्मो के जज शामिल थे। इनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख) जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चियन) , जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी) , जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं।
अगस्त माह के ही अंतिम सप्ताह में 25 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह फैसला था निजता का अधिकार । सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है। उसने पूर्व में सन् 1954 और सन् 1962 में अपने ही दिए निर्णय को बदल दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की नौ जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से निजता को मौलिक अधिकार माना है। इन जजों ने अपने आदेश में कहा है कि निजता कोई अभिजात्य के विचार नहीं है जो सिर्फ अमीरों को दिए हो । यह सभी वर्गो के लिए है। अब सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद निजी जानकारी देना और न देना व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर करेगा। इस फैसले के बाद लोगों की निजी जानकारी कोई भी सार्वजनिक नहीं कर सकेगा। सर्वोच्च न्यायालय के नौ जजों ने एक मत से इस संबंध में जो ऐतिहासिक फैसला दिया है, उन जजों में शामिल थे चीफ जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे , जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़,जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस एस के बोबड़े, जस्टिस नरीमन, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजय किशन कौल ।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उक्त दो ऐतिहासिक फैसले के बाद 28 अगस्त को सीबीआई जज जगदीप सिंह ने दो साध्वियों से दुष्कर्म के अपराधी डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बीस साल की सजा सुनाई । साधु के भेष में राक्षस बने गुरमीत रामरहीम को दो साध्वियों से दुष्कर्म करने पर दोनों के लिए 10-10 साल की सजा सुनाई। सीबीआई जज ने इस अवसर पर कहा कि साध्वियों ने जिसे भगवान का दर्जा दिया , उसने उनका भरोसा तोड़ा है। सीबीआई जज ने 30 लाख रूपये का जुर्माना देने का भी आदेश दिया है। जुर्माने में से 14-14 लाख रूपये साध्वियों को मिलेंगे। राम रहीम ने सन् 1999 में दोनो साध्चियों से दुष्कर्म किया था। सन् 2002 में राम रहीम के विरूद्ध प्रकरण दर्ज हुआ था। गत शुक्रवार को राम रहीम के दोषी साबित होने के बाद हुई हिंसा में 38 लोग मारे गए थे। सीबीआई जज द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक फैसले से दुष्कर्म के 19 साल बाद दोनों साध्वियों को इंसाफ मिला है।
आम जन में अभी भी न्यायालय के प्रति एक विश्वास और आस्था है। समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय , उच्च न्यायालय और सीबीआई कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसलों ने लोगों के विश्वास को कायम रखा है। अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में न्यायालय द्वारा दिए गए इन ऐतिहासिक फैसलों पर सभी न्यायाधीशों को सलाम।
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