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जो मृत्यु से घबराते हैं वो जीवन में कुछ नहीं कर पाते


पर्यूषण का दूसरा दिन- उत्तम मार्धव धर्म

महापुरुष दूसरी दुनिया से नहीं आते, जो अपने काम अच्छे ढंग से करते हैं वही महापुरुष हो जाते हैं- ब्रह्मचारिणी प्रभा दीदी

उज्जैन। मृत्यु से वे ही घबराते है जिनके जीवन का हिसाब गड़बड़ होता है। जैसे इन्कम टेक्स, सेल टेक्स आफीसरों से वे ही डरते है जिनके बहीखाते गड़बड़ होते है। अब तो एक और नया टैक्स आ गया है जीएसटी कानून। लेकिन इसे समझें घबराएं नहीं जिनका जीवन साफ सुथरा होता है उनकी मृत्यू मातम नही महोत्सव होती है। जन्म और जीवन मृत्यु को सुधारने का अवसर है जिनका जीवन सुधर जाता है उनकी मृत्यु भी सुधर जाती है साधु संत कठोरतम साधना को सिर्फ इसलिए करते है ताकि मृत्यू को सुधारकर जीवन से जीवन का मूल्य वसूल कर सके। जीवन को सुधारना हो तो सभी मिलजुल कर रहें।  
यह बात ब्रहमचारिणी प्रभा दीदी ने श्री महावीर तपोभूमि पर आयोजित शिविर में उत्तम मार्धव धर्म पर प्रवचन देते हुए कही। दिगंबर जैन समाज के सचिव व मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल के अनुसार पर्यूषण पर्व का दुसरा दिन उत्तम मार्धव धर्म का था जो तपोभूमि में सुबह 5ः30 से ही प्रारंभ हुआ जिसमें नित नियम की पूजा के साथ प्रभा दीदी ने प्रवचन दिये। आपने कहा कि उत्तम मार्धव विनय प्रकाषो, मार्धव धर्म से विनय प्रकट होता है। यह मिट्टी का शरीर है मिट्टी में ही मिल जाना है। हाड-मास का केवल शरीर है एक दिन मिट्टी में मिल जाना है। उत्तम मार्धव धर्म विनय बनाता है मार्धव धर्म तन से मन से वचन से विनय बनाता है। यदि आप किसी से साॅरी बोलते है तो वो भी विनयता पूर्वक बोलना पडता है अन्यथा उसका कोई मतलव नही होता। जो मनुष्य अहंकार छोडकर विनय बन जात है उसकी चर्चा हर तरफ होती है। छोटा बनकर रहने में ही मजा आता है। तुम्हारे लिए सब अच्छे होंगे तभी तुम दूसरों के लिए अच्छे होगे और यदि तुम्हारे लिए सब बुरे होंगे तब तुम दुसरो के लिए भी बुरे होंगे जैसा आप संसार को देखोगे वैसा ही आप को प्राप्त होगा। दीदी ने कहा कि कोई महापुरुष दूसरी दुनिया से नहीं आता जो भी व्यक्ति महान काम करता है उसे लोग पूजते हैं महान काम करने के लिए अपनी चरिया को सही करना होता है उत्तम आर्जव धर्म का पालन करते हुए अहंकार छोड़ विनय बनना होगा। सुबह  शांतीधारा और अभिषेेेेक हुआ। दोपहर में तत्व चर्चा। शाम को श्री महावीर भगवान की भव्य आरती ब्रहमचारिणी प्रभा दीदी द्वारा जैन दर्शन को समझाना एवं विशाल जैन भैया के प्रवचन एवं शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ। 
दिगंबर जैन मंदिर बोर्डिंग में आचार्य प्रसन्न ऋषि महाराज के सानिध्य में भव्य पांच विधानों के साथ दसलक्षण धर्म की पूजा विधि विधानपूर्वक हुई। तत्पश्चात आचार्यश्री के प्रवचन हुए जिसमें उन्होंने कहा कि धर्म से बड़ा संसार में और कुछ नहीं है। जो प्राणी धर्म के हिसाब से चलता है उसको कभी पीछे पलट कर नहीं देखना पड़ता है एवं आचार्य श्री के सानिध्य में दोपहर में तत्व चर्चा और शाम को जिनेंद्र भगवान की भव्य आरती भी हुई।
वहीं शहर के सभी 16 जिनालयों में मंदिरों में भव्य पूजन पाठ उत्तम मार्दव धर्म की पूजा विद्वानों और ब्रहमचारी, भैयाजी एवं पुजारियों द्वारा संपूर्ण पूजा कराने का भी कार्य हुआ वही शाम को सभी मंदिरों में भक्ति पूर्वक आरती के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। 28 अगस्त को उत्तम आर्जव धर्म मनाया जाएगा। सम्पूर्ण व्यवस्था दिगंबर जैन समाज व तपोभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला, राजेन्द्र लोहाडिया,  धर्मेन्द्र सेठी, ओम जैन, देवेन्द्र जैन, संजय जैन, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट, विमल जैन, भूषण जैन, रमेश जैन, एकता सौरभ कासलीवाल, संजय बड़जात्या, हेमंत गंगवाल, पुष्पराज जैन, निर्मल सेठी, प्रज्ञा कला मंच की अध्यक्ष विनीता कासलीवाल, रूबी जैन, फूलचंद छाबड़ा, पवन बोहरा, प्रज्ञा बाल मंच के अध्यक्ष प्रखर जैन, कोषाध्यक्ष ईस्ट कासलीवाल व संपूर्ण मंच एवं प्रज्ञा पुष्प की बालिकाओं द्वारा कि गई। 

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