8 वीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति होगी अब समाप्त
संदीप कुलश्रेष्ठ
कक्षा 8 वीं तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति अब समाप्त होगी। हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस बाबद मंजूरी दे दी गई है। केंद्र सरकार के इस फैसले से 8 वीं कक्षा तक शिक्षा में आ रही गुणवत्ता में गिरावट को रोकने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी।
पूर्व में केंद सरकार ने 1 अप्रैल 2010 से यह आदेश जारी किया था कि कक्षा 8 वीं तक अब कोई बच्चा फेल नही होगा। वह स्वतः ही अगली कक्षा में चला जाएगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही थी। और बच्चों की नींव कमजोर बन रही थी। अब केंद्र सरकार 5 वीं और 8वीं की सालाना परीक्षा में छात्रों के फेल होने पर उसे उसी कक्षा में रखने का अधिकार राज्यों को देने के लिए बच्चों का निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार संशोधित विधेयक में प्रावधान किए जाएंगे। यह संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। बच्चों को उसी कक्षा में रखने से पहले उससे परीक्षा के जरिये सुधार का एक मौका जरूर दिया जाएगा।
शिक्षा नीति पर एक पिता ने उठाये थे सवाल -
पिछले दिनों उज्जैन में प्रति मंगलवार को हो रही जनसुनवाई में एक रोचक किंतु महत्वपूर्ण मसला सामने आया था। उज्जैन के ढ़ांचा भवन निवासी श्री रमेषचंद्र खत्री ने जनसुनवाई में एडीएम श्री नरेंद्र सूर्यवंशी को एक आवेदन दिया था। इस आवेदन में उसने शिकायत की कि गलत शिक्षा नीति के चलते उसके दोनों बच्चे बिना परीक्षा दिए आठवीं पास हो गए। किंतु वे दोनों ही 9 वीं कक्षा में फेल हो गए। पिता ने अपने बच्चों की इस स्थिति के लिए सवाल उठाया कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
10 वीं तक पढ़े लिखे और फल एवं सब्जी बेचकर अपना जीवन निर्वाह करने वाले इस पिता की जिद यह थी कि सरकार की शिक्षा नीति गलत है। उसने वर्तमान शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए अपने और प्रदेशभर के ऐसे ही अन्य बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता भी जताई । कलेक्टर के नाम दिए शिकायती आवेदन में उसने लिखा कि प्रदेश की गलत शिक्षा नीति के चलते उसके दो बच्चें आठवीं तक पास होते चले गए। लेकिन , दोनां बच्चे 9 वीं में फेल हो गए। क्योंकि उनकी नींव ही कमजोर रह गई थी। अब उनका पढ़ाई में मन भी नहीं लग रहा है। उनका भविष्य अंधकार में है। इसके लिए उसने सीधे सीधे राज्य की शिक्षा नीति को जिम्मेदार ठहराया। और साथ ही उसने राज्य की इस शिक्षा नीति में बदलाव करने के लिए मुहिम छेडने की बात भी कही।
जब जनसुनवाई में मौजूद एडीएम ने उसका आवेदन जिला षिक्षा अधिकारी को भेजते हुए कारवाई करने हेतु कहा तो वहीं शिकायतकर्ता श्री रमेशचंद्र खत्री ने आपत्ति जताई थी । उसने कहा कि यहाँ मेरा आवेदन भेजने से मेरी समस्या दूर नहीं होगी। इसे राज्य सरकार तक पहुंचाया जाऐ । ये बातें मुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाई जाऐ। इस पर एडीएम ने प्राप्त शिकायत को शासन तक पहुंचाने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए थे।
अब बच्चों की नींव होगी मजबूत -
शायद उज्जैन के श्री रमेष चंद्र खत्री की मन की पुकार केंद्र सरकार ने सुन ली। शिकायतकर्ता श्री रमेशचंद्र खत्री के प्रसंग को पिछले दिनों दस्तक न्यूज डॉट कॉम ने प्रमुखता से एक प्रमुख समस्या के रूप में पाठकों के सामने प्रस्तुत किया था। केंद्र सरकार के उक्त निर्णय के बाद अब राज्य सरकारों की भी यह जिम्मेदारी बनेगी कि वे इस दिशा में ठोस पहल करें। केंद्र सरकार का यह निर्णय निःसंदेह शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी निर्णय सिद्ध होगा।
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