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बाबा महाकाल की सवारी की पालकी और ऊँची होना चाहिए



संदीप कुलश्रेष्ठ
                   उज्जैन के अधिपति राजाधिराज बाबा महाकाल प्रतिवर्ष श्रावण भादौ माह में अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण को निकलते हैं। पिछले अनेक दशकों से चली आ रही इस परंपरा में दिनों दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती ही जा रही है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के कारण सुरक्षा के इंतजाम भी जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा किए जाने आवश्यक है। इसके लिए लगभग पूरे सवारी मार्ग में ऊंचे -ऊंचे बेरिकेड्स लगाए जा रहे हैं। इसके कारण श्रद्धालु सरलता और सुविधापूर्वक बाबा महाकाल के दर्शन नहीं कर पाते हैं। इसलिए महाकाल की पालकी को करीब तीन फीट और ऊँची करने की सख्त आवश्यकता है।
                   सामान्यतः सावन माह में चार या पाँच सवारी और भादौ माह में दो या तीन सवारी प्रतिवर्ष निकलती है। प्रथम सवारी से दूसरी ,तीसरी के बाद लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जाती है। षाही सवारी के समक्ष श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ सवारी मार्ग पर मौजूद रहती है। उज्जैन के आस पास के गाँवों के ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देश के अन्य षहरों के भी श्रद्धालु सावन भादौ माह में निकलने वाली इन सवारियों के दर्षन के लिए उज्जैन आते हैं।
                   दिनों दिन श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा सिंहस्थ 2016 में आए बैरिकेड्स का उपयोग सवारी मार्ग पर भीड़ नियंत्रण करने के लिए किया जा रहा है। ये बैरिकेड्स करीब साढ़े पाँच फीट उँंचे हैं । प्रशासन का प्रयास यह रहता हैं कि सड़क के दोनां ओर बैरिकेड्स के बाहर से ही श्रद्धालु बाबा महाकाल का दर्शन करें। बैरिकैड्स के अंदर श्रद्धालु नहीं आने पाए , यह उनका प्रयास रहता है। इस कारण होता यह है कि बैरिकैड्स के अंदर जब सवारी निकलती है, तो कहारों के कंघों पर पालकी होने के कारण पालकी की ऊंचाई करीब 5 फीट ही रहती है। साढ़ै पांच फीट ऊंचे बैरिकेड्स के बाहर श्रद्धालुओं की कई लाइन रहती है। इस कारण श्रद्धालु सरलतापूर्वक व सुविधापूर्वक पालकी में विराजमान बाबा महाकाल के दर्शन आसानी से नहीं कर पाते है। अत्यधिक भीड़ होने के कारण सवारी निकलते समय बहुत धक्का मुक्की होती है। इस कारण विशेषकर महिला श्रद्धालुओं को बहुत असुविधा होती है।
                    आजकल हर एक के पास मोबाइल है। हर एक मोबाइल में फोटो लेने की भी सुविधा होती है। श्रद्धालु सवारी के फोटो लेने के लिए प्रयासरत रहते हैं। कई श्रद्धालु वीडियो भी बनाते हैं। श्रद्धालु अपने दोनों हाथ सिर से ऊपर करते हुए फोटो और वीडियो लेने की कोशिश करते हैं। इस कारण भी पीछे के श्रद्धालुओं को पालकी में विराजमान बाबा महाकाल के दर्शन आसानी से नहीं हो पाते हैं। दर्शन की जद्दोजहद में भीड़ में धक्का मुक्की बढ़ जाती है और भीड़ अनियंत्रित हो जाती है।
                    जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को चाहिए कि  बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन के लिए दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा नहीं हो, इसके लिए वे स्वयं बैरिकेड्स के बाहर सामान्य ड्रेस में खड़े होकर स्थिति का जायजा लें तभी उन्हें समस्या की वास्तविक स्थिति का पता चल पाएगा। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक अपने अपने मातहत अधिकारियों को भी बेरिकेट के बाहर खडे रहकर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा असुविधाओं की जानकारी लेने के लिए भेंजे। इससे उन्हें सही स्थिति और इससे होने वाली समस्या को दूर करने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी।
                      श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक उपाय किए जा सकते हैं। सबसे प्रथम तो यह है कि वर्तमान में पालकी की जो ऊंचाई है, उसको तीन फीट बढ़ा दी जाए। तीन फीट ऊंची पालकी होने के कारण जब सवारी मार्ग से कहारों के कंधे पर पालकी निकलेगी तो निश्चित रूप से बेरिकैडिंग के दूसरी और खड़े हजारों श्रद्धालुओं को अपने बाबा महाकाल के दर्शन आसानी से हो सकेंगे। इसके लिए एक काम और किया जा सकता है। जहाँ बाबा महाकाल की मूर्ति को पालकी में विराजमान करवाया जाता है। उसके पीछे अर्धचंद्रकार के आकार में पालकी है। इस कारण भी सहजता से दर्शन नहीं हो पाते हैं। इसके लिए यह किया जा सकता है कि पालकी के एक कोने में बाबा महाकाल को विराजमान नहीं करवाते हुए पालकी के बीच में बाबा को विराजित किया जाए । इससे श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्व दर्शन लाभ मिल सकेगा।
                  कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे व पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर  दोनों युवा है। उन्हें चाहिए कि वे श्रद्धालुओं की समस्याएं समझे और ऊपर बताए गए उपाय के अतिरिक्त और भी उपाय काम में लाए, ताकि सावन भादौ माह में निकलने वाली बाबा महाकाल की सभी सवारी के दर्शन आसानी से हो सके।
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