यूपीएससी की कोचिंग हेतु अब आवेदन पत्र आमंत्रित , जबकि जून से ही कोचिंग आरंभ हो चुकी
डॉ. चंदर सोनाने
मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षाओं की कोचिंग हेतु राज्य सरकार के अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग द्वारा हाल ही में आवेदन पत्र आंमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 अगस्त 2017 तय की है। जबकि नई दिल्ली स्थित एम्पेनल्ड कोचिंग संस्थाओं में जून माह में ही प्रवेश प्रारंभ होकर पढ़ाई आरंभ हो चुकी है।
राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और जनजाति विभाग के आयुक्त द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 100-100 छात्र छात्राओं के लिए संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। विभाग द्वारा नई दिल्ली के पांच कोचिंग संस्थाओं को एम्पेनल्ड किया गया है। इन संस्थाओं के नाम है- बाजीराव एंड रवि, अल्टरनेटिव लर्निंग सिस्टम, दृष्टि द विजन , निर्माण और केरियर प्लस कोचिंग संस्थान। विभाग द्वारा प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण और परिवार की वार्षिक आय 5 लाख रूपये तथा मध्यप्रदेश के मूल निवासी अनुसूचित जाति एवं जन जाति के छात्र छात्राओं के आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए है। करीब एक दशक से राज्य सरकार प्रति वर्ष छात्र छात्राओं को कोचिंग संस्थान की फीस तथा अन्य सुविधाएँ देती आ रही है।
राज्य सरकार के संबंधित आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग का आलम यह हैं कि जब इसके द्वारा एम्पेनल्ड पांच कोचिंग संस्थानों में जून माह में ही कोचिंग में एडमिषन हो चुके हैं तो जुलाई माह के अंत में विज्ञापन जारी करना तथा आवेदन की अंतिम तारीख ही 14 अगस्त तय करना उनकी कार्यपद्धति पर प्रश्नचिन्ह है। इस संबंध में एम्पेनल्ड एक कोचिंग संस्थान बाजीराव एंड रवि के कार्यालय का यह कहना है कि अब कोचिंग संस्थान में प्रवेश देना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में विभाग की कार्यपद्धति संदेह के घेरे मे आ गई है।
राज्य सरकार के प्रयास सराहनीय है। किंतु संबंधित विभाग के क्रियाकलाप अत्यंत लापरवाही से भरे हैं । विभाग द्वारा मई माह में ही संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षाओं की कोचिंग के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित कर लिया जाना चाहिए था , ताकि जून माह में ही संबंधित छात्र मनचाहे कोंचिग संस्थान में प्रवेश ले सके।
विभाग की लापरवाही और अक्षमता का परिणाम अब छात्र-छात्राएँ भुगतेंगे। उन्हें पात्रता होने के बावजूद मनचाहे कोचिंग संस्थान में एडमिशन नहीं मिल पाएगा। राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विभाग के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को चाहिए कि वे इस दिशा में लापरवाही करने वाले संबंधित अधिकारी के विरूद्ध न केवल कारवाई करें, बल्कि ऐसा कोई उपाय करें जिससे की राज्य सरकार के उद्देश्य के अनुरूप 200 विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिल सके। वे इस योजना से वंचित नहीं होने पाए। राज्य सरकार को यह भी चाहिए कि अगले वर्ष प्रवेश की सारी प्रक्रिया मई माह में ही पूर्ण हो जाऐ। इस दिशा में अभी से कारवाई सुनिश्चित करना जरूरी है।
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