एक पिता ने उठाए शिक्षा नीति पर सवाल
संदीप कुलश्रेष्ठ
पिछले दिनों उज्जैन में प्रति मंगलवार को हो रही जनसुनवाई में एक रोचक किंतु महत्वपूर्ण मसला सामने आया। उज्जैन के ढ़ांचा भवन निवासी श्री रमेशचंद्र खत्री ने जनसुनवाई में एडीएम श्री नरेंद्र सूर्यवंशी को एक आवेदन दिया। इस आवेदन में उसने शिकायत की कि प्रदश्ष की गलत शिक्षा नीति के चलते उसके दोनों बच्चे बिना परीक्षा दिए आठवीं पास हो गए। किंतु वे दोनों ही 9 वीं कक्षा में फेल हो गए। पिता ने अपने बच्चों की इस स्थिति के लिए सवाल उठाया कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
10 वीं तक पढ़े लिखे और फल एवं सब्जी बेचकर अपना जीवन निर्वाह करने वाले इस पिता की जीद यह थी कि सरकार की शिक्षा नीति गलत है। उसने वर्तमान शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए अपने और प्रदेशभर के ऐसे ही अन्य बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता भी जताई । कलेक्टर के नाम दिए शिकायती आवेदन में उसने लिखा कि प्रदेश की गलत शिक्षा नीति के चलते आठवीं तक पास हो गए। लेकिन दोनां बच्चे 9 वीं में फेल हो गए। क्योंकि उनकी नींव ही कमजोर रह गई थी। अब उनका पढ़ाई में मन भी नहीं लग रहा है। उनका भविष्य अंधकार में है। इसके लिए उसने सीधे सीधे राज्य की शिक्षा नीति को जिम्मेदार ठहराया। और साथ ही उसने राज्य की इस शिक्षा नीति में बदलाव करने के लिए मुहिम छेडने की बात भी कही।
जब जनसुनवाई में मौजूद एडीएम ने उसका आवेदन जिला शिक्षा अधिकारी को भेजते हुए कारवाई करने हेतु कहा तो वहीं शिकायतकर्ता श्री रमेषचंद्र खत्री ने आपत्ति जताई। उसने कहा कि यहाँ मेरा आवदन भेजने से मेरी समस्या दूर नहीं होगी। इसे राज्य सरकार तक पहुंचाया जाऐ । ये बातें मुख्यमंत्री के ध्यान में भी लाई जाऐ। इस पर एडीएम ने प्राप्त शिकायत को षासन तक पहुंचाने के निर्देश जिला षिक्षा अधिकारी को दिए।
यह एक रोचक प्रसंग भी हो सकता हैं और एक महत्वपूर्ण सवाल भी खड़ा करता है। यहाँ यह सवाल उठता है कि शिकायतकर्ता श्री खत्री ने अपने बच्चों के अंधकारमय भविष्य को देखते हुए जो शिकायत की वह कितनी महत्वपूर्ण है ? बिना परीक्षा दिए बच्चों को क्रमोन्नति करते हुए आठवीं तक पास करा देना कहाँ तक न्याय संगत है ? इससे निश्चित रूप से बच्चे की नींव कमजोर होती है और परीणाम वही होता है जो खत्री के दोनों बच्चों के साथ हुआ।
राज्य सरकार के शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री को श्री रमेशचंद्र खत्री के आवेदन को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। ऐसे प्रदेश में न जाने कितने बच्चे होंगे, जो आठवीं के बाद 9 वीं कक्षा में फेल होने पर पढ़ाई छोड़ देते होंगे और घर बैठ जाते होंगे। इसलिए जरूरी है कि शिक्षा नीति पर पुनर्विचार कर ऐसी शिक्षा नीति बनाई जाऐ जिससे की बच्चों की नींव मजबूत हो। यदि नींव मजबूत होगी तो उस पर बनने वाला भवन भी निश्चित रूप से मजबूत ही होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को भी इस विषय में गंभीरता से सोचने , विचारने और ठोस पहल करने की जरूरत है।