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कर्नाटक का अलग ध्वज की मांग करना अनुचित


 

डॉ. चंदर सोनाने

 
            किसी भी देश के लिए उसका राष्ट्रीय ध्वज उस देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता का प्रतीक भी होता है। इस दृष्टिकोण से किसी भी राष्ट्र का एक ही ध्वज हो सकता है। ऐसी स्थिति में देश के एक राज्य कर्नाटक ने अलग ध्वज की मांग कर अनावश्यक गलतफहमियाँ उत्पन्न की है।
              जब देश में एक संविधान है। एक देश है। तो राष्ट्रीय ध्वज भी एक ही होना चाहिए। जम्मू कश्मीर राज्य के लिए अलग ध्वज है। इसके परिणाम हम भुगत रहे हैं। देश में एकमात्र जम्मू कश्मीर राज्य ही है, जहाँ अलग ध्वज फहराया जाता है। वहाँ तिरंगे झंडे को कोई महत्व नहीं दिया जाता । इस परिप्रेक्ष्य में कर्नाटक का अलग ध्वज की मांग करना क्षेत्रीयता को बढ़ावा देना ही कहा जा सकता है। जो हम जम्मू कश्मीर में देख रहे हैं, वह कदापि अन्य राज्यों में दोहराए जाने की आवश्यकता नहीं है। इससे प्रांतवाद की भावना बढ़ने की आशंका है। राज्य सरकार यह सुनिश्चित कैसे कर सकेगी कि अलग क्षेत्रीय झंडे के बावजूद वहाँ के नागरिकों की आस्था राष्ट्रीय ध्वज के प्रति विधिवत बनी रहे ?
             यदि कर्नाटक राज्य को अलग झंडे की मांग मंजूर हो जाती है तो अन्य राज्य भी ऐसी मांग नहीं करेंगे , ऐसा कैसे कहा जा सकता है ? इस तरह की प्रवृत्ति से देश में क्षेत्रीयता की भावना हावी होती जाएगी। और राष्ट्र के तौर पर हम भीतर से खोखले होते जाएँगे।
              प्रत्येक राष्ट्र का अपना एक चिन्ह या प्रतीक होता है। एक देश होता है। एक ही ध्वज भी होता है। उसके प्रति सम्मान और आस्था रखना प्रत्येक देषवासी का कर्तव्य होता है। देश के प्रत्येक नागरिक का अपने देश के प्रति सम्मान रखना जरूरी होता है। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह से किसी भी राज्य का अलग ध्वज कदापि नहीं होना चाहिए।
              प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवादी नेता के रूप में देशभर में अपनी ख्याति अर्जित कर चुके हैं। उन्हें कर्नाटक का अलग ध्वज की मांग को न केवल ठुकराना चाहिए अपितु अपने व्यक्तव्य से यह कड़ा संदेश भी देना चाहिए जिससे देश के किसी अन्य राज्य से इस प्रकार की अलग ध्वज की मांग भविष्य में उठने ही नहीं पाऐ।

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