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मार्ग चौड़ीकरण : प्रभावितों को मुआवजा मिलना ही चाहिए



डॉ. चंदर सोनाने
 
                     पिछले दिनों उज्जैन में केडी गेट मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान 95 लोगों का रोजगार छिन गया। करीब साढ़े चार सौ घरों के आगे का हिस्सा तोड़ा गया। इसी प्रकार महाकाल सवारी मार्ग चौड़ीकरण में भी मोड़ धर्मशाला से सत्यनारायण मंदिर तक मार्ग चौड़ीकरण किया गया हैं।  किंतु प्रभावितों को कोई भी मुआवजा नहीं दिया गया। यह सरासर उनके साथ अन्याय है। प्रभावितों को मुआवजा मिलना ही चाहिए। 
                      केडी गेट से इमली चौक तक के करीब 2 किमी लंबे मार्ग में करीब 95 दुकानें ऐसी हैं जो चौड़ीकरण में पूरी तरह से साफ हो रही है। जिनके पास पीछे पर्याप्त जगह हैं वें तो वहाँ निर्माण कर लेंगे , लेकिन जिनके पास पीछे जरा भी जगह नहीं है , वें पूरी तरह से सड़क पर आ गए हैं। नगर निगम द्वारा शहर का विकास का हवाला देते हुए इस मार्ग का चौड़ीकरण किया जा रहा है , किंतु प्रभावितों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। 
                      मार्ग चौड़ीकरण हो, ऐसा सभी चाहते हैं। लेकिन बगैर मुआवजा दिए चौड़ीकरण हो रहा है, यह न्याय संगत कदापि नहीं कहा जा सकता। चौड़ीकरण मार्ग में ज्यादातर छोटे और मध्यमवर्गीय दुकानदार है। नगर निगम ने दुकानदारों की समस्या के निराकरण करने की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं की है। जबकि उनके लिए वैकल्पिक उपाय की व्यवस्था भी की जाना मानवीय दृष्टिकोण से आवश्यक है। 
                       इसी प्रकार मार्ग में आने वाले करीब साढ़े चार सौ घरों की भी यही कहानी है। कई घरों के आगे के पूरे कमरे चौड़ीकरण में टूट गए हैं। इनके वैकल्पिक उपाय पर भी किसी के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है, वह तो ऊपर मकान बना लेंगे, किंतु जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है , उनको अगर मुआवजा मिलता तो वे अपने बचे घर के ऊपर मकान बना सकते थे। किंतु ऐसा नहीं हो रहा है।
                     महाकाल सवारी मार्ग चौड़ीकरण के अंतर्गत भी बगैर मुआवजा दिए नगर निगम ने   मोड़ धर्मशाला से सत्यनारायण मंदिर तक मार्ग चौड़ीकरण किया गया। बारिश के दिनों में किए गए मार्ग चौडीकरण से कई परिवारों के पास मकान की मरम्मत करने के लिए और नया मकान बनाने के लिए पैसे भी नहीं है। यहाँ खास बात यह है कि अधिकतर इस मार्ग पर कच्चे मकान है। चौड़ीकरण में उनके मकान आने के कारण उनके रहने की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रभावित परिवारों के वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना नगर निगम ने उनके घरों पर जेसीबी और हथौड़े चलवा दिए। हालात यह है कि कई लोगों के कच्चे मकान होने से उन्हें नए सिरें से ही अपने मकान बनाने पडेंगे।            
                        यहाँ यह प्रश्न उठता हैं कि प्रभावितों को बिना मुआवजा दिए उनकी दुकान अथवा घरों को अधिग्रहण क्यों किया जा रहा है ? मार्ग चौड़ीकरण समय की आवश्यकता है। किंतु मानवीय दृष्टिकोण से जो प्रभावित हो रहे हैं , उनकी हालात पर भी गौर करना आवश्यक है। इस दिशा में नगर निगम द्वारा ठोस कारवाई नहीं की गई है। आश्चर्य की बात यह है कि विकास के नाम पर जनप्रतिनिधि भी मौन है। उनके द्वारा इस विषय में कोई भी ठोस कारवाई नहीं करना आश्चर्य और दुःख का विषय है।
                          प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अपेक्षा है कि वे केडीगेट मार्ग चौड़ीकरण और महाकाल सवारी मार्ग चौड़ीकरण से  प्रभावित हो रहे व्यक्तियों को कम से कम मुआवजा तो दिलाने की कारवाई तो करें। मानवीय दृष्टिकोण से यह जरूरी भी है। 
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