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भक्ति में डूब जाता है, भगवान उसे ही दर्शन देते हैं- अनिरूध्दाचार्य


उज्जैन @ भगवान भक्तों के वश में होते हैं लेकिन भक्ति में डूबना पड़ता है। जीवन में अर्थ से ज्यादा धर्म का महत्व है। धन कमाना मनुष्य का दायित्स है। धर्म करने से सुख शांति मिलती है।  यह बात संत अनिरूध्दाचार्य महाराज ने कृषि उपज मंडी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कही। महाराजश्री ने रविवार को आयोजित कथा में कृष्ण के बाल रूप का वृतांत सुनाया और कहा कि कृष्ण को ब्रह्मा भी नहीं समझ पाए लेकिन भक्ति से मीरा के बस में हो गए। कृष्ण ने कभी भी अमीरी गरीबी को नहीं देखा व भाव को ग्रहण करते थे। आपने यह भी कहा कि मोर ने कृष्ण को राधा से मिलाया था और राधा ने भेंट स्वरूप कृष्णा को मोर पंख दिए थे तभी से मोर पंख कृष्ण को पसंद है। जीवन में कभी भी विषम परिस्थितियों में भी क्रोध नहीं करना चाहिये। कथा के दौरान बाल रूप में कृष्ण भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने से लेकर बालपन के नटखट रूप का मंचन किया गया। विश्रांति पर आरती में उर्जा मंत्री पारस जैन, सांसद चिंतामणि मालवीय, कांग्रेस नेता विवेक यादव, यजमान रामप्रताप शकुंतला देवी राठौर, विजय राठौर, प्रदीप राठौर, सुनील राठौर, संजय खंडेलवाल, पप्पू सोलंकी, मनीष अग्रवाल आदि मौजूद थे। 

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