श्रावण माह में दान करने से आत्म सुख की प्राप्ति
उज्जैन । श्रावण माह हिन्दू पंचांग में पांचवे स्थान पर आता है। इस समय चौमासा (चार्तुमास) प्रारंभ हो गया है। श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व है। हिन्दू समाज में श्रावण माह का अधिक महत्व है। चौमासा (वर्षा ऋतु) में सभी जाति-धर्म के तीज त्यौहार प्रारंभ होकर अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुरूप त्यौहारों को मनाते है। चौमासा में श्रावण का महिना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
श्रावण माह भगवान शिव के लिए अधिक प्रिय होने के कारण अलग-अलग तरीके से भगवान शिव की पूजा की जाती है। पूरे श्रावण माह में धार्मिक उत्सव, शिव उपासना, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान एवं भगवान शिव का जलाभिषेक और विशेष तौर से श्रावण माह के सोमवार की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दौरान दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिये हम न केवल अपने धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते है बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते है। दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है। दान में जैसे- अनाज का दान हो या विभिन्न प्रकार की धातुओं का दान या नवीन वस्त्रों का दान आदि किया जाना चाहिए। दान करने से दानदाता को अद्धभुत आत्मसुख की प्राप्ति होती है और इंसान को श्रेष्ठ और सत्कर्मी बनाता है। दान करने से आनंद की अनुभूति होती है।
श्रावण मास में हरियाली तीज, नागपंचमी, रक्षाबंधन आदि पर्व मनाये जायेंगे। श्रावण माह की पूर्णिमा का दिन बहुत शुभ एवं पवित्र माना जाता है। ग्रंथों में इन दिनों किये गये जप, तप व दान का महत्व उल्लेखित है। रक्षाबंधन पर्व, श्रावणी उपाक्रम आदि का अधिक महत्व है। श्रावण माह में दान करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते है। श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि का माह का अंतिम दिन माना जाता है।