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इस शख्स को नही काटतें सांप, देखते ही चले आते है पास


सांप को देखते ही अच्छे-अच्छों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। लेकिन के वारासिवनी क्षेत्र के डोंगरगांव अंतर्गत शिवनगर में रहने वाले सूरज गिरी अब तक 26 हजार सांपों को पकड़कर उन्हें नया जीवनदान देने का काम कर चुके हैं।

क्षेत्र में सांपों के दोस्त के रूप में चर्चित सूरज को लोग सांप का रखवाला मानने लगे हैं। 16 साल की उम्र से सांपों को पकड़ने का काम करने वाले 58 वर्षीय सूरज गिरी अब तक 26 हजार सांपों को पकड़ चुके हैं। इनमें से किसी भी सर्प ने तो उन्हें काटा और न ही जख्मी किया है।

देखते ही पास चले आते हैं सांप सूरज को जानने वालों का मानना है कि सांप उन्हें अपना दोस्त मानते हैं और इन्हें देखते ही पास चले आते हैं। अपने अनुभव की बदौलत सूरज ने कई बार टार्च की रोशनी में जहरीले सांपों को पकड़ा है। सांपों को जीवनदान देने का काम करने वाले सूरज को वन विभाग ने भले ही सम्मान न दिया हो। लेकिन इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने अपनी ओर से सूरज की मदद के बदले कई बार सम्मान किया है।

14 हजार लोगों की बचाई जान
जुलाई-अगस्त लगते ही ग्रामीण अंचलों में जहरीले सर्प बाहर निकल आते हैं। ग्रामीण अंचलों में घास-फूस के मकान बने होने के कारण सर्प यहीं पर अपना बिल बना लेते हैं। ऐसी स्थिति में सर्प ने किसी व्यक्ति को डस लिया तो सूरज उसका इलाज जड़ी बूटियों से करते हैं। वे अब तक 14 हजार लोगों की जान बचा चुके हैं। सूरज गिरी बताते हैं कि जड़ी बूटी से प्राथमिक इलाज करने के बाद उन्हें अस्पताल भी जाने की सलाह देते हैं। वे सांप पकड़ने का काम क्षेत्र के अलावा समीपी राज्य महाराष्ट्र के गांवों में भी करते हैं।

लोगों को कर रहे जागरूक
सूरज का कहना है कि जिले में जिस किसी को भी सांप नजर आता हैख् वह उसे मारने या पकड़ने की जगह उसे फोन कर इसकी जानकारी देता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सांप पकड़ने के दौरान सूरज अपने पास किसी तरह का हथियार या दस्ताना नहीं पहनते हैं।

सांप पकड़ने के बाद उसे किसी को देने की जगह जंगल में सुरक्षित छोड़ देते हैं। सूरज का कहना है कि पर्यावरण और किसानों के मित्र के रूप में सांप को पहचाना जाता है। लोग उसे बेवजह डर के चलते मार डालते हैं। लोगों को सांपों की प्रति जागरूक करने के लिए मैं यह काम लगातार करता रहूंगा।

बचपन से जंगल में घूम रहे सूरज
एक गरीब परिवार में जन्मे बचपन से ही जंगलों में अपने आदिवासी दोस्तों के साथ घूमते रहे हैं। इसी बीच उनके गांव में एक घर पर सर्प निकला जिसे ग्रामीणों ने मार दिया। तभी से सूरज ने सर्प को पकड़ने की सोची और उन्हें जीवनदान दिया। सूरज सर्पों को पकड़कर डोंगरगांव के कोड़ापाट पहाड़ी के जंगल में छोड़ देते हैं।

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