ये आम नहीं बलराम है, डेढ़ किलो वजनी है एक आम !
भोपाल. यह आम कुछ खास है। दिखने में हापुस जैसा, लेकिन नाम बलराम है। इसकी मोहक सुवास इसकी खूबियों का अहसास करा देती है। दिखने में ही कुछ अलग बात नजर आ जाती है। एक फल का वजन एक-डेढ़ किलो से कम नहीं। स्वाद भी लाजवाब। यह कोई विदेशी आम नहीं बल्कि भोपाल में तैयार की गई आम की नई हाईब्रिड प्रजाति है। भौंरी के एक फार्म में लगे हापुस आम के पेड़ के तने में ग्राफ्टिंग करके स्थानीय प्रजाति के आम के पेड़ की शाखाएं लगाकर नई प्रजाति तैयार की गई। इसे विशेष आकार, सुवास आैर स्वाद देने के लिए गौमूत्र, दूध, दही, घी, शहद और पके केले को मिलाकर बनाए गए पंचगव्य घोल की खाद से पोषित किया गया। यह प्रयोग प्रदेश के जैविक खेती वैज्ञानिक ताराचंद बेलजी ने किया है।
पंचगव्य घोल से ...ऐसे आमों का बढ़ाया आकार और स्वाद
नए बनाए पौधे को आंवला और मही से तैयार किए गए षडरस नामक घाेल से सींचा। अग्निहोत्र भस्म और गोबर से मिलाकर बनाए गए घोल को जड़ में डालने से फलों का वजन बढ़ता है। गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घी शहद और पके केले को मिलाकर बनाया पंचगव्य घोल डालकर फल का स्वाद बढ़ाया गया।
4 साल पहले .. जैविक खेती में नए प्रयोग और नया फॉर्मूला तैयार
बेलजी भारत सरकार की राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना में सलाहकार हैं। जैविक खेती में वे नए प्रयोग करते रहते हैं। बेलजी ने बताया कि चार साल पहले उन्होंने भौंरी में हापुस आम के पेड़ की शाखाओं में इसे लगाया था। पहले हापुस के पेड़ में आम तो आते थे, लेकिन उनका वजन और स्वाद ऐसा नहीं होता था।
अगले साल सैकड़ों पौधे उपलब्ध रहेंगे
बेलजी ने बताया कि बलराम प्रजाति के आम का मदर प्लांट तैयार कर लिया गया है। अगले साल नर्सरी से सैकड़ों पौधे उपलब्ध होंगे।
सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं, यह हाइब्रिडाइजेशन है
जिस तरह गुलाब के एक पौधे में ग्राफ्टिंग से कई रंग व किस्मों के गुलाब लगाए जाते हैं। इस हाइब्रिडाइजेशन तकनीक से नई प्रजाति के पौधे व फल तैयार किए जा सकते हैं। इसके लिए कोई सर्टिफिकेट या परमिशन की जरूरत नहीं है।
कृपाल सिंह वर्मा, सहायक निदेशक, हाॅर्टीकल्चर, सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी