शहरवासियों को क्यों पिलाया जा रहा हैं शिप्रा का प्रदूषित पानी ?
डॉ. चंदर सोनाने
उज्जैन शहरवासियों को पीने का पानी गंभीर बांध से दिया जाता है। गंभीर बांध का पानी कम होने पर पिछले एक सप्ताह से शहर में एक दिन छोडकर पेयजल प्रदाय किया जा रहा है। उम्मीद से अलग वर्षा की लंबी खेंच ने पेयजल की समस्या को निसंदेह बढ़ा दिया है । ऐसी स्थिति में नगर निगम उज्जैन द्वारा शहरवासियों को गऊघाट का शिप्रा का प्रदूषित पानी पिलाने की तैयारी की जा रही है। यह सब जानते हैं कि अभी बारिश हुई नहीं है। शिप्रा के सभी सात बैराज अभी खाली पडे़ हैं। गऊघाट पर जो पानी दिखाई दे रहा है वह निसंदेह बारिश का ही नहीं होकर खान नदी का और आस पास से आ रहे गंदें नालों का पानी है। यह सब सभी को पता है, किंतु नगर निगम के अधिकारी शिप्रा का ही प्रदूषित पानी नगरवासियों को पिलाने पर अड़े हुए हैं।
नगर निगम द्वारा गत रविवार को ही गऊघाट के पास शिप्रा में तैरता पंपिंग स्टेशन चालू करने का काम शुरू कर दिया गया है। अर्थात नगर निगम उज्जैन शहरवासियों को बीमार करने पर तुला हआ है। शिप्रा नदी में पास ही त्रिवेणी से पानी आता है। त्रिवेणी पर शिप्रा नदी और खान नदी का पानी मिलता हुआ सबको स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यही नहीं गऊघाट के पास ही शहर के गंदे नाले का पानी भी मिलते हुए सहज ही देखा जा सकता है। गंदे नाले का यह पानी बेगमबाग कॉलोनी से होकर आता हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में नगर निगम शिप्रा का पानी क्यों पिलाने पर तुला हुआ है ? यह शहरवासियों की समझ से बाहर है।
प्रमुख तीज त्यौहार आने पर और षिप्रा में पानी कम होने की स्थिति में श्रद्धालुओं को पवित्र नदी में डूबने लगाने के लिए पर्याप्त पानी हो, इसके लिए समय समय पर नर्मदा का पानी शिप्रा में डालते आ रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस और बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं। शहर की करीब 6 लाख की आबादी को पीने का पानी पर्याप्त मिल जाए यदि शिप्रा में नर्मदा का पानी मिलाया जाऐ तो ! किंतु उज्जैन के ही वासी एवं उज्जैन उत्तर के विधायक प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्री पारस जैन , उज्जैन दक्षिण के विधायक डॉ. मोहन यादव , नगर निगम की महापौर श्रीमती मीना जोनवाल तथा नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत नर्मदा का पानी शिप्रा में मिलाने के लिए अभी भी गंभीर प्रयास करें तो उज्जैन वासियों को प्रदूषित पानी की जगह साफ पानी प्रदाय किया जा सकता है।
नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना का जब शुभारंभ हुआ था तब मुख्यमंत्री ने जोर शोर से यह घोषणा की थी कि अब नर्मदा किनारे के सब गाँव प्यासे नहीं रहेंगे । इन्हें नर्मदा का पानी पीने के लिए मिलेगा। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि नर्मदा और शिप्रा किनारे के सभी गाँवों के किसानों को 12 महिने सिंचाई हेतु पानी मिलेगा। आज हालत इससे जुदा है। न तो नर्मदा किनारे रहने वाले लोगों को पीने का पानी मिल रहा है, और न ही उनकी खेती को पानी दिया जा रहा है। इस नर्मदा शिप्रा लिंक योजना में यह भी जोर शोर से कहा गया था कि अब उज्जैन को कभी भी पीने के पानी की समस्या नहीं आएगी। जरूरत पड़ने पर इस लिंक योजना से पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। जब इस योजना में ही उज्जैनवासियों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया गया है तो केवल कोशिश प्रयास करने की ही है। यह बात मुख्यमंत्री के ध्यान में लाई जाए तो समस्या सुलझ सकती हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का उज्जैन के प्रति विशेष मोह हैं। वे अक्सर उज्जैन आते रहते हैं। उनके ही व्यक्तिगत प्रयास से सिंहस्थ में ऐतिहासिक निर्माण व विकास कार्य हुए हैं। इसलिए उज्जैन के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे तुरंत मुख्यमंत्री का ध्यान इस और अकर्षित करें तो नर्मदा का पानी सहज ही उज्जैन वासियों को मिल सकेगा और उन्हें प्रदूषित पानी पीने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा।
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