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संस्कृत के ज्ञान को घर-घर पहुंचाने में हम सबकी सहभागिता होना चाहिए -डॉ. अवधेश पुरी


उज्जैन । श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान तथा संस्कृत भारती मालवा के संयुक्त तत्वावधान में श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में आयोजित प्रशिक्षण का समापन 4 जून को हुआ। इसमें सम्पूर्ण प्रान्त के 57 स्थानों के 126 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। समापन कार्यक्रम के अवसर पर लघु नाटक सामूहिक गीत, भाषण, अनुभव कथन, प्रदर्शनी, वस्तु प्रदर्शनी आदि का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर महानिर्वाणी अखाडे के परमहंस डॉ.अवधेशपुरी जी महाराज ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, विश्व में संस्कृत की अलग पहचान है। संस्कृत के ज्ञान को घर-घर पहुंचाने में हम सबकी सहभागिता होना चाहिए। संस्कृत ही एक मात्र ऐसी भाषा है जिससे एकात्मकता का भाव होता है। 

डॉ.अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि संस्कृत हमारी प्राचीन भाषा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रामायण में जटायु, हनुमान सुग्रीव का संवाद संस्कृत भाषा में ही हुआ था और इसका प्रमाण हमारे शास्त्रों ने मिलता है। संस्कृत भाषा में संस्कार मिलते है। हमारे देश में संस्कृत भारती के कार्यकर्ता पूरे देश में कार्य कर रहे है वह प्रशंसनीय है। संस्कृत भाषा को और अधिक बढावा देने के लिए देश के प्रत्येक घरों में संस्कृत का ज्ञान पहुंचाने में सबकी महती भूमिका होना चाहिए। 

वर्ग के समापन सत्र के अवसर पर संस्कृत भारती द्वारा विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें सब्जियों, पशु-पक्षी, पौधे, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं भोजन में उपयोग में आने वाली सामग्री आदि के संस्कृत नामों को प्रदर्शित किया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत भारती मालवा प्रान्त मन्त्री श्री योगेश भोपे ने अपने  विचार प्रकट करते हुए कहा कि विश्व कल्याण के भावों की हमारी उदारवादी संस्कृति तथा सम्पूर्ण विश्व में श्रेष्ठता और समाज में दान करने का भाव होना चाहिए। इन्होने संस्कृत की योग्यता के निर्माण श्री समर्थ रामदास के माध्यम से उनके विचारों को परिलक्षित किया।    

कार्यक्रम में विशेष अतिथि डॉ.पीयूष त्रिपाठी, प्राचार्य एवं प्रभारी श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान थे। कार्यक्रम का संचालन नीमच के श्री गोवर्धन सोनगरा तथा श्री बलराम ने किया।  अंत में आभार संस्कृत भारती के प्रान्त प्रकाशन प्रमुख हेमंत शर्मा द्वारा किया गया। समापन सत्र के अवसर पर मंदिर समिति के सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री दिलीप गरूड, श्री मिलिन्द वैद्य, श्री निनाद काले संस्थान के समस्त शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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