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बारहवी शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का भव्य शुभारंभ


मुख्यमंत्री श्री चौहान ''कर्मयोगी राजा'' की तरह- संत श्री भैय्या जी सरकार

वृक्षारोपण कर भावी पीढ़ी को सुरक्षित करें- श्री नंद कुमार चौहान

लिंक परियोजना से नदियों को जोड़ा जायेगा- विधायक डॉ. यादव

 

      उज्जैन । उज्जैन शहर की पहचान और जीवन दायिनी तथा मोक्ष दायिनी के रूप में प्रसिद्ध शिप्रा के तट रामघाट पर शनिवार को गंगा दशहरा पर्व के उपलक्ष्य में बारहवी शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का भव्य शुभारंभ हर्षोउल्लास के साथ किया गया। यह आयोजन शिप्रा लोक संस्कृति द्वारा उज्जैन दक्षिण के विधायक डॉ. मोहन यादव के सानिध्य में  किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संत श्री भैय्या जी सरकार, उर्जा मंत्री श्री पारस जैन, सांसद डॉ. चितामणी मालवीय, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, श्री नंद कुमार चौहान, श्री विष्णु दत्त शर्मा, मंहत डॉ. रामेश्वर दास, श्री बहादुर सिंह बोरमुंडला, श्री राम सिंह जादोन, श्री सनवर पटेल, श्री संतोष व्यास, श्री जगदीश पांचाल, श्री राजेश कुश्वाह आदि उपस्थित थे।

      कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मॉ शिप्रा का विधिवत पूजन अर्चन और तीर्थ परिक्रमा का संकल्प लेकर किया गया। इसके पश्चात अतिथियों द्वारा परिक्रमा का ध्वज पूजन किया गया।  विधायक डॉ.यादव ने मॉ शिप्रा की धर्म पट्टिका पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया।

      विधायक डॉ. मोहन यादव ने स्वागत भाषण में कहा कि नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना के बाद इतनी गर्मी में भी शिप्रा नदी में भरपूर जल मौजूद है। यह प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के भागीरथी प्रयासों से ही संभव हो सका है। मुख्यमंत्री द्वारा भविष्य में सभी प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा। विधायक ने बताया कि गंभीर नदी के पास के गांवो में भी शिप्रा तीर्थ परिक्रमा की तर्ज पर उप यात्रा निकाली जा रही है। नर्मदा के पानी से खेतो की सिंचाई करने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है।

      इस अवसर पर संत श्री भैय्या जी सरकार ने अपने उदबोधन में कहा कि धर्म की राजधानी उज्जैन पूरे विश्व में अपनी कला और संस्कृति के लिए जानी जाती है। नर्मदा सेवा यात्रा के द्वारा  म.प्र. ने पूरे विश्व के समक्ष प्रकृति प्रेम का आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि नदियां गावों और शहरों को जीवन प्रदाय करती है इसलिए सनातन धर्म में उनका दर्जा जन्म देने वाली मॉ से भी बड़ा होता है। यह परिक्रमा आज हम उसी मोक्ष दायिनी मॉ शिप्रा  के लिए प्रारंभ कर रहे है। अगर हमें अपने कार्यो को सिध्द करना है तो हमें जीवन दायिनी नदियों के जल को शुध्द करना होगा।

      श्री नंद कुमार चौहान ने कहा कि शिप्रा तीर्थ परिक्रमा एक पवित्र भावना के साथ प्रारंभ की गई। कुछ वर्षो पहले नदियों के सूखने के कारण मालवा में जल संकट उत्पन्न हो गया था। ऐसी स्थिति दोबारा निर्मित न हो इसके लिए नदियों को आपस में जोड़ना होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिप्रा के जल को प्रवाहमान बनाने का संकल्प लिया है। इसके लिए शासन द्वारा विशेष प्रयास जारी है। इसी  कड़ी में शासन द्वारा 1800 करोड़ रूपये की लागत से गंभीर परियोजना बनायी गई है, जिससे 50 हजार हेक्टेयर की भूमि की सिंचाई हो सकेगी। नर्मदा सेवा यात्रा भी मुख्यमंत्री द्वारा इसी उद्देश्य से की गई। जिससे नर्मदा का जल प्रदूषण रहित,  शुध्द और सतत प्रवाहमान रहें। नर्मदा के तट पर व्यापक अभियान के तहत आगामी 2 जुलाई को 6 करोड़ पौधे लगाये जायेगे। नर्मदा के साथ साथ हमें सभी प्रमुख नदियों के किनारों पर वृक्षारोपण करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण देकर उनका भविष्य सुरक्षित किया जा सके।

      महंत डॉ. रामेश्वर दास ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैसे इलाहबाद में तीन नदियों का संगम हुआ है वैसे ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी गुप्त रूप से शिप्रा में आकर मिली थी और यही उनका शुध्दिकरण हुआ था। नर्मदा को भी पूर्व में शिप्रा में मिलाने का प्रयास नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना के माध्यम से किया गया है। इस कारण यहां भी तीन नदियों का संगम है। इसलिए शिप्रा तीर्थ परिक्रमा करने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही अध्यात्मिक उन्नति और मन भी शुध्द होता है। इसी भाव से हमें मॉ शिप्रा की परिक्रमा करनी चाहिए और यह भी प्रयास करने चाहिए कि शिप्रा नदी का जल दूषित होने व गंदगी से पुर्णत: मुक्त हो सके।

      इसके पश्चात पंडित श्याम नारायण व्यास द्वारा सभी अतिथियों और श्रध्दालुओं को शिप्रा जल के संरक्षण, संवर्धन, स्वच्छ वातावरण और वृक्षारोपण कर पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प दिलवाया गया। संकल्प लेने के बाद अतिथियों द्वारा शिप्रा तीर्थ ध्वज व कलश लेकर यात्रा प्रारंभ की गई। स्थानीय व आसपास के ग्रामों से बड़ी तादाद में आये श्रध्दालुओं ने इसमें भाग लिया।

      यह यात्रा रामघाट से नृसिंह घाट, आंनदेश्वर मंदिर, जगदीश मंदिर, गऊघाट आदि निर्धारित मार्गों से होती हुई दत्त अखाड़ा पर पहुंचेगी। यात्रा का समापन आज रविवार को होगा।

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