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पंचकल्याण के चैथे दिन महाराज आदिकुमार का राज्याभिषेक


 

नीलांजना नृत्य, आदिकुमार को वैराग्य तप कल्याण के रूप में मनाया गया

उज्जैन। मुनिश्री समतासागरजी एवं ऐलक निश्चयसागरजी महाराज के सानिध्य एवं ब्रह्मचारी अभय भैया आदित्य एवं सुनील भैया के नेतृत्व में पंचकल्याणक के चैथे दिन सुबह पौने 6 बजे जलाभिषेक, शांतिधारा, नित नियम की पूजा, तपकल्याणक की पूजा, दिव्य देशना मुनिजी द्वारा, जिनालय परिसर में वेदी संस्कार विधि संपन्न हुई। दोपहर 12.50 बजे महाराजा नाभिराय का दरबार सजा तथा आदिकुमार का राज्याभिषेक हुआ। दरबार में मुकुटबध्द राजाओं द्वारा भेंट अर्पित की गई। षट कर्म के उपदेश के पश्चात नीलांजना नृत्य के बाद आदिकुमार का वैराग्य हुआ। भरत बाहुबली को राज्य सौंपने के बाद वन प्रस्थान तत्पश्चात मुनिश्री द्वारा दीक्षा विधि प्रारंभ की गई एवं प्रवचन हुए। 

मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल ने बताया कि दीक्षा कल्याण के रूप में चैथे दिन मनाया जाता है। आदिनाथ भगवान के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा मध्यकाल में महाराजा नाभिराय का दरबार दर्शाया जाता है। युवराज आदिकुमार का राज्याभिषेक, राज्य संचालन, अष्टकर्म व्यवस्था का प्रतिवादन, दंड व्यवस्था, 32 हजार मुकुटबध्द राजाओं द्वारा राजाधिराज राजा को भेंट समर्पण, ब्राह्मी, सुंदरी पुत्रियों को क्रमशः अक्षरलिपी एवं अंकविधा सिखाना। पुत्र भरत एवं बाहुबली को शस्त्र विधा सिखाना, निलांजना का नृत्य उसका मरण और इंद्रो द्वारा तत्काल दूसरी नीलांजना प्रस्तुत करना, यह सब देखकर महाराजा आदिनाथ को वैराग्य, भरत बाहुबली को राज्य सौंपना, लौकांकिक देवों द्वारा भगवान के वैराग्य भाव की प्रशंसा, स्तुति और भगवान का दीक्षा के लिए वन को प्रस्थान करना होता है। वहीं मुनियों द्वारा दीक्षा विधि और प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों पर अंकन्यास तथा संस्कार आरोपण किया जाता है। वस्त्र आभूषण से सजाई गई मूर्तियों से वस्त्र आभूषण अलग कर दिये जाते हैं। सभी अंकन्यास और संस्कार आरोपण का कार्य होता है। इस प्रकार आदिकुमार को नीलांजना का नृत्य देखकर और नृत्य में नीलांजना की मृत्यु हो जाना देखकर वैराग्य हो जाता है और वह संपूर्ण राज्य छोड़कर दीक्षा को धारण कर वन की ओर चले जाते हैं। इस पर मुनिश्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि संसार के दुखों से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है भौतिक वस्तुओं का त्याग करना। राग की धारा को छोड़ना होता है। भगवान आदिकुमार की तरह हम भी जागे और आत्मपुरूषार्थ में लगे। विषय भोग हम स्वयं छोड़ दें तो बहुत ही अच्छा अन्यथा एक दिन तो सब छोड़कर जाना ही है। मरने पर तो सभी छूट जाता है। हमारी चिता जले उसके पहले ही हमें चेतना का दीप जलाना है। जीवन में संयम लें, दीक्षा लें, पिछीका लें यही सर्वश्रेष्ठ है। अगर यह भी नहीं कर सके तो पिच्छी धारियों के पीछे चलें, संतोष, सदाचार धारण करें। जीवन की आपाधापी, अनुकूलता समाप्त करें। जीवन में हम वैभव को नहीं वैराग्य को महत्व दें। त्यागी, तपस्वियों के चरण ही नहीं उनके आचरणों को भी स्पर्श करें। यही दीक्षा कल्याण मनाने का एक विशेष प्रायोजन है। मुनिश्री ने कहा कि दीक्षा एक घटना है जो अंतर्मुखी व्यक्ति के जीवन में घटित होती है। संसार और सन्यास में से दीक्षार्थी सन्यास को चुनता है यही तो साधना की शुरूआत है। मन, वाणी और काया की साधना ही सबसे बड़ी साधना है। आदिकुमार का वैराग्य एवं वन में प्रस्थान कर जिस प्रकार आज आपकी आंखें नम हुई हैं उसी प्रकार आप अपने जीवन में भी वैराग्य को धारण करें। शाम को महाआरती एवं विद्वानों द्वारा प्रवचन एवं रात को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें देशभर से आए विद्वानों ने कविता पाठ किया। श ुक्रवार को मुख्य अतिथि के रूप में तराना के विधायक अनिल फिरोजिया, नगरनिगम के स्मार्ट सिटी इंचार्ज हंसराज जैन उपस्थित थे। महोत्सव में यातायात व्यवस्था समिति के अजय छाबड़ा, योगेन्द्र बड़जात्या, कमल बड़जात्या, मनोज लुहाड़िया, प्रदीप बाकलीवाल, अजय लुहाड़िया, स्वास्थ्य समिति के डाॅ. मुकेश गंगवाल, डाॅ. नरेश जैन, डाॅ. पी.सी. जैन, डाॅ. जीनेन्द्र जैन, डाॅ. हितेन्द्र जैन, डाॅ. अरूण जैन, डाॅ. दिनेश वैद्य, डाॅ. सी.के. जैन, डाॅ. संकल्प जैन, डाॅ. पी.सी.जैन, डाॅ. मीनेश जैन, डाॅ. अनुभा जैन, डाॅ. सी.के. कासलीवाल, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति के राजेश लुहाड़िया, भूषण जैन, विक्रांत जैन, शैलेन्द्र जैन, पंचकल्याणक समिति के अध्यक्ष सुनील जैन खुरई, कार्याध्यक्ष अशोक जैन गुनावाले, राजेन्द्र लुहाड़िया, अरविंद बुखारिया, शैलेन्द्र जैन, संजय लुहाड़िया, मुख्य संयोजक जीवंधर जैन, विजेन्द्र गंगवाल, मुख्य समन्वयक गौरव लुहाड़िया, परामर्शदाता वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन, इंजी. संतोषकुमार जैन, रवीन्द्र जैन, सुबोध जैन, पी.के. जैन, सुनील ललावत, अरविंद कासलीवाल, प्रसन्न बिलाला, शैलेन्द्र जायसवाल, सुनील बुखारिया, सुनील सोगानी, अनिल गंगवाल, सूरजमल जैन, शैलेन्द्र शाह, राजीव जैन, सुधीर जैन, विमलेश जैन, राकेश बुखारिया, कार्यसमिति के आशीष बाकलीवाल, युवराज जैन, अजय पहाड़िया, दिलीप पहाड़िया आदि का सहयोग रहा। आज शनिवार को ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा। समवशरण की रचना कुबेर द्वारा की जाएगी। 

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