मंदिरों के प्रबंधन के लिए शीघ्र ही बनेगा ‘औकाफ एक्ट’
ओकाफ़ बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक संपन्न
उज्जैन । प्रदेश में मंदिरों के प्रबंधन तथा देव स्थलों की संपत्तियों की बेहतर देखरेख एवं प्रबंधन के लिए शीघ्र ही 'औकाफ एक्ट' बनाया जाएगा। संभाग आयुक्त श्री एमबी ओझा की उपस्थिति में आज शुक्रवार को औकाफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में यह जानकारी दी गई।
बैठक की अध्यक्षता मध्यप्रदेश ओकाफ़ बोर्ड के अध्यक्ष एवं संभाग आयुक्त ग्वालियर संभाग श्री एस एन रूपला द्वारा की गई। बैठक में बोर्ड के सदस्य श्री तारा सिंह, श्री धर्म स्वरूप भार्गव, सदस्य सचिव श्री भूपेंद्र सिंह कुशवाहा, उज्जैन के माफी अधिकारी आदि उपस्थित थे।
बैठक में अध्यक्ष श्री रूपला ने कहा कि बोर्ड की और से शासन को सुझाव भिजवाया जाए कि लावारिस संपत्तियों को जप्त करने से मिली राशि औकाफ़ बोर्ड को दी जाए। बड़े मंदिरों को चढ़ोत्तरी में मिली राशि का 10 से 20 प्रतिशत तक हिस्सा औकाफ़ बोर्ड को दिया जाए। जिन मंदिरों की जमीन का भू अर्जन किया गया है उनकी राशि मंदिरों को मिली है अथवा नहीं इसकी जानकारी बोर्ड को भिजवाई जाए।
संभागायुक्त श्री ओझा ने निर्देश दिए के मंदिरों की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाए। शासन को बोर्ड की और से सुझाव भिजवाया जाए कि जो मंदिर औकात बोर्ड की सूची में नहीं है, उनके संबंध में सरकार नीतिगत निर्णय ले तथा कलेक्टर को निर्देश प्रदान करे कि उनके ट्रस्ट बनाए जाएं एवं बैंक खाते खुलवाए जाए।
सदस्यों ने सुझाव दिए कि कुछ प्राचीन मंदिरों में मोडी भाषा में जानकारी लिखी हुई है अतः मोड़ी भाषा के जानकारों को ढूंढ कर जानकारी का हिंदी में अनुवाद कराया जाए तथा वह जानकारी मंदिरों पर प्रदर्शित की जाए। ओकाफ़ बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मंदिरों की तीन श्रेणियों में सूचियां बनाई जाएं, पहली श्रेणी में वे मंदिर रखे जाएं जिनकी मरम्मत की तुरंत आवश्यकता है दूसरी श्रेणी में वे मंदिर रखे जाएं, जिनमें मरम्मत की अभी आवश्यकता नहीं है तथा तीसरी श्रेणी में वे मंदिर रखे जाएं जो अच्छी हालत में है। जिन मंदिरों में मरम्मत की आवश्यकता हो उनके प्रस्ताव कलेक्टर के माध्यम से शासन को भिजवाए जाएं, जिससे शीघ्र राशि स्वीकृत होकर कार्य करवाया जा सके। शासन को सुझाव भिजवाया जाए कि औकाफ बोर्ड के अंतर्गत राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय, तहसील स्तरीय एवं मंदिर स्तरीय समितियां बनाई जाएं।
बैठक में सुझाव दिए गए कि औकाफ़ देव स्थलों का बेहतर प्रबंधन हो। मंदिरों की जमीनों के न्यायालय में चल रहे प्रकरणों की जानकारी बोर्ड को दी जाए तथा जिन प्रकरणों में फैसला हो गया हो तो उनकी जानकारी भी भिजवाई जाए। औकाफ़ एक्ट का जो प्रारूप शासन स्तर पर बनाया गया है उसे शीघ्र विधानसभा में पारित करने की कार्रवाई की जाए। जिन मंदिरों की संपत्ति में लंबे समय से लोग रह रहे हैं तथा भाड़ा कम है तो भाड़ा नियंत्रण अधिकारी से किराए का निर्धारण करवाकर तदनुरूप किराया लिया जाए।
बैठक में विगत मीटिंग की प्रोसिडिंग की पुष्टि एवं अनुमोदन किया गया। औकाफ बजट वर्ष 2016-17 में किये गये व्यय 35 लाख 65 हजार 589 तथा प्राप्त आय 81 लाख 17 हजार 781 रूपये का अनुमोदन किया गया। व्यय के मदों में वेतन एवं एरियर, पेंशन, कार्यालयीन व्यय, टेलीफोन व्यय, लायब्रेरी, वर्दी, न्यायालयीन, विद्युत, वाहन एवं मानदेय शामिल है।
बैठक में जानकारी दी गई कि माफी औकाफ देवस्थानों के बेहतर प्रबंधन के सम्बन्ध में औकाफ बोर्ड द्वारा प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग भोपाल को म.प्र.देवस्थान प्रबंधन विधेयक 2006 का प्रारूप तैयार करके भेजा जा चुका है जो अभी विचाराधीन है। बैठक में औकाफ विभाग में कार्यरत डाटा इंट्री ऑपरेटर के मानदेय को 11 हजार के स्थान पर 17300 रूपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया। इसी तरह ग्वालियर स्थित 05 देवस्थानों के व्यवस्थापकों के वेतन में वृद्धि करने, यहीं पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करने एवं ग्वालियर स्थित आयुक्त के सीधे नियंत्रित देवस्थानों में महोत्सव आयोजित कराने के लिये समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया।