तिथि : अष्टमी, मां धूमावती जयंती
उज्जैन, इण्डिया
शुक्रवार, २ जून २०१७
सूर्योदय : ०५:४४
सूर्यास्त : १९:०५
चन्द्रोदय : १३:०५
चन्द्रास्त : २५:४३+
शक सम्वत : १९३९ हेमलम्बी
विक्रम सम्वत : २०७४ साधारण
गुजराती सम्वत : २०७३
अमांत महीना : ज्येष्ठ
पूर्णिमांत महीना : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल पक्ष
तिथि : अष्टमी - ०६:१४ तक
नक्षत्र : पूर्वाफाल्गुनी - १२:०१ तक
मां धूमावती जयंती
मां धूमावती जयंती के विशेष अवसर पर दस महाविद्या का पूजन किया जाता है. 1 जून 2017, को धूमावती जयंती मनाई जाएगी. धूमावती जयंती समारोह में धूमावती देवी के स्तोत्र पाठ व सामूहिक जप का अनुष्ठान होता है. काले वस्त्र में काले तिल बांधकर मां को भेंट करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. परंपरा है कि सुहागिनें मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं और केवल दूर से ही मां के दर्शन करती हैं. मां धूमावती के दर्शन से पुत्र और पति की रक्षा होती है.
पुराण अनुसार एक बार मां धूमावती अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं किंतु उस समय भगवान समाधि में लीन होते हैं. मां के बार-बार निवेदन के बाद भी भगवान शंकर का ध्यान से नहीं उठते. इस पर देवी श्वास खींचकर भगवान शिव को निगल जाती हैं. शिव के गले में विष होने के कारण मां के शरीर से धुंआ निकलने लगा और उनका स्वरूप विकृत और श्रृंगार विहीन हो जाता है. इस कारण उनका नाम धूमावती पड़ता है.
देवी धूमावती जयंती महत्व
धूमावती देवी का स्वरुप बड़ा मलिन और भयंकर प्रतीत होता है. धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है तथा कौवा इनका वाहन है, वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, खुले केश रुप में होती हैं. देवी का स्वरूप चाहे जितना उग्र क्यों न हो वह संतान के लिए कल्याणकारी ही होता है. मां धूमावती के दर्शन से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. पापियों को दण्डित करने के लिए इनका अवतरण हुआ. नष्ट व संहार करने की सभी क्षमताएं देवी में निहीत हैं. देवी नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र है इस कारण इन्हें ज्येष्ठा भी कहा जाता है.