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नगर निगम की श्रमिक सेल के भ्रष्ट अधिकारी कर रहे जनता को परेशान



उज्जैन। नगर पालिक निगम के श्रमिक सेल पर मध्यप्रदेश कंस्ट्रक्शन महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेन्द्रसिंह परिहार ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि श्रमिक सेल शाखा में विवाह सहायता, मृत्यु सहायता, मेधावी छात्रवृत्ति के आवेदन लंबित पड़े हैं जिनका आज तक कोई निराकरण नहीं किया गया है। जिसके कारण हितग्राहियों को लाभ से वंचित होना पड़ता है। समग्र आईडी निकलने के पश्चात भी प्रकरण निरस्त कर दिया जाता है। किंतु हिताधिकारी की मृत्यु घोषित करने के लिए यह उक्त मृतक के आईडी नं. श्रमिक सेल शाखा में निरस्त नहीं करते जिनके कारण मृतक के वारिस को मृत्यु सहायता का लाभ लेने में असुविधा होती है। विवाह सहायता का लाभ लेने वाले हिताधिकारियों के साथ भी ऐसी हरकत करते हुए उनको परेशान किया जाता है। महेन्द्रसिंह परिहार ने बताया कि नगर पालिक निगम के श्रमिक सेल अधिकारी बी.के. शर्मा ने 5 से अधिक कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया है। कर्मचारी मुकेश रायकवार ने फर्जी पंजीयन करके राशन की दुकान नंबर 59 के माध्यम से अपने भाई के द्वारा राशन लिया गया। उक्त कर्मचारी द्वारा भ्रष्टाचार करके लिये गये राशन की वसूली का तत्कालीन कलेक्टर द्वारा आदेश हुआ। सतीश चैहान ने श्रमिक सेल पंजीयन के फर्जी रसीद कट्टे की छपाई करके सारे रिकार्ड गायब कर दिये हैं जिसकी विभागीय जांच चल रही है। कृष्णकांत पांडे ने आॅफ लाईन के 750 प्रकरण नकली जमा किये जिसका आज तक कोई विभाग में रिकार्ड नहीं मिल पाया क्योंकि इसके द्वारा सारे रिकार्ड गायब कर दिये गये। शकुंतला बंडा ने फर्जी तरीके से शासन की राशि का दुरूपयोग करते हुए शासन की राशि हड़पी है जिसके कारण बंडा भी जांच के घेरे में है। मामले आरोप सिध्द हो गये हैं लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। श्रमिक सेल के इंचार्ज उपायुक्त भट्ट का ट्रांसफर कर दिया गया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीके शर्मा द्वारा एसडीएम, कलेक्टर, निगमायुक्त, अपर आयुक्त, सहायक श्रमायुक्त एवं भवन निर्माण मंडल कार्यालय भोपाल सभी अधिकारियों को 2 वर्ष से विभाग की गलत जानकारी प्रदान कर लोक सेवा गारंटी की धारा 2010 की धाराओं के अंतर्गत उल्लंघन किया जा रहा है। इस संबंध में एडीएम शर्मा द्वारा कोर्ट में केस चल रहा था तो बी.के. शर्मा ने इस संबंध में समय मांगा था लेकिन सिंहस्थ 2016 के समापन होने के बाद भी इन केस का निराकरण नहीं हो सका था। महेन्द्रसिंह परिहार ने बताया कि कलेक्टर को या जनसुनवाई में यदि कोई इनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाता है तो इन भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा अधिकतर आवेदनों को निरस्त कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री हेल्प लाईन पर शिकायत की फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। म.प्र. कंस्ट्रक्शन मजदूर महासंघ ने मांग की कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के विरूध्द तत्काल जांच कर इन पर कार्यवाही करते हुए इन्हें जेल भेजा जाए ताकि मजदूरों को शासन की योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके। 

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