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पर्यावरण पर पहली राष्ट्रीय हिन्दी मासिक ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ के प्रकाशन के तीन दशक



क्रान्ति कुमार वैद्य ‘पत्रकार’
    पर्यावरण पर पहली राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पत्रिका ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ ने अपने निरन्तर सफल प्रकाशन के तीस वर्ष पूर्ण कर ३१वें वर्ष में प्रवेश किया है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के रतलाम शहर से सीमित साधनों और प्रबल इच्छाशक्ति के साथ जनवरी १९८७ में ट्रेडल मशीन पर मुद्रण से लेकर वर्तमान में ऑफसेट पर बहुरंगीन आवरण सहित इन्टरनेट (नि:शुल्क) संस्करण तक ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ पत्रिका ने हिन्दी पत्रकारिता में अपना विशिष्ट स्थान भी बनाया है। 
    उल्लेखनीय है कि रतलाम से सन् १८८८ में श्रीमती हेमन्त कुमारी चौधरी के सम्पादन में देश की पहली (मासिक) महिला पत्रिका ‘‘सुगृहिणी’’ का हिन्दी में प्रकाशन हुआ था। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि एक सौ वर्ष बाद वर्तमान मध्यप्रदेश के रतलाम शहर से ही जनवरी १९८७ में डा. खुशहाल सिंह पुरोहित के सम्पादन में पर्यावरण पर देश की पहली राष्ट्रीय हिन्दी मासिक ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ पत्रिका का भी प्रकाशन आरम्भ हुआ। इस पत्रिका के तीस वर्ष निरन्तर प्रकाशन पूर्णकर ३१वें वर्ष में प्रवेश करना रतलाम की पत्रकारिता की ऐतिहासिक उपलब्धि भी मानी जाएगी।
    प्रख्यात साहित्यकार डा. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ ने अपनी टिप्पणी में लिखा था कि पर्यावरण डाइजेस्ट के सुयोग्य सम्पादक खुशहाल सिंह पुरोहित के सम्पादन में पत्रिका नैरन्तर्य के साथ ही स्तरीयता के मानक को बनाए रख सकी है, जो आज के समय को देखते हुए मूल्य आधारित पत्रकारिता और जीवन शैली का द्यौतक है। यहां यह जानकारी आवश्यक है कि साहित्य मनीषी डा. शिवमंगल सिंह सुमन के निदेशन में हिन्दी पत्रकारिता पर डा. खुशहाल सिंह पुरोहित पीएचडी है वहीं निदरलैण्ड से पर्यावरण विषय पर डी. लिट् (उपाधि प्राप्त) भी है। ‘‘राष्ट्रीय पर्यावरण सेवा’’ तथा ‘‘पर्यावरण रत्न’’ सहित अनेक सम्मान से सम्मानित डा. खुशहाल सिंह पुरोहित विशेष शैली लेखन के कारण अपनी अलग पहचान भी रखते हैं। 
    डा.पुरोहित का कहना है - पर्यावरण का प्रश्न आज की पीढ़ी के लिए नयी चुनौतियों के रूप में है। यह विश्व की प्रमुख समस्या है, जिसके प्रति जागरूकता जरूरी है। पर्यावरण, वन और विज्ञान पर केन्द्रित देश की पहली ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ पत्रिका ‘‘पर्यावरण’’ संरक्षण की लोक चेतना को समर्पित यह एक अव्यवसायिक प्रकाशन है। रचनात्मक पत्रकारिता की आज की चुनौतियों से जूझते हुए पिछले तीस सालों में हमने अनुभव किया है कि व्यवसायिक पत्रिकाओं की बढ़ती भीड़ में रचनात्मक पत्रकारिता एवम् पत्रिका को जिन्दा रखना संकटपूर्ण तो है, लेकिन असम्भव नहीं है। हमारे पा'कों एवम् पर्यावरण प्रेमी व्यक्तियो, संग'नों के भरोसे पर आशान्वित है।
    उनका मानना है - वर्तमान पत्रकारिता में जहां पर्यावरण और विकास से जुड़े अहम् मुद्दों की सामान्यतया उपेक्षा हो रही है, वहीं ‘‘पर्यावरण डाइजेस्ट’’ की यह विशेषता है कि समाचार, विचार और दृष्टिकोण के समन्वय, गम्भीरता-संवेदनशीलता के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण सामग्री का प्रकाशन कर अपने नैतिक दायित्व का निर्वाह भी कर रही है। आज मानवीय असंवेदनशीलता और प्रकृति के प्रति आदर भाव में कमी आने से पर्यावरण के लिए गम्भीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इन खतरों के प्रति लोक चेतना जागृत करने में पर्यावरण डाइजेस्ट अग्रणी रही है। पत्रिका में पिछले तीस वर्षों में पर्यावरण से जुड़ी ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं, पर्यावरण और विकास, रचनात्मक प्रयास, प्रदूषण, पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता प्रबंधन और वन संरक्षण आदि विभिन्न विषयों पर लगभग चार हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
    डा. पुरोहित ने कहा कि यहां यह स्पष्ट है कर दिया जाए कि पर्यावरण डाइजेस्ट ने आज तक कभी किसी सरकार, संस्थान अथवा आन्दोलन का मुख पत्र बनने का प्रयास ही नहीं किया। पत्रिका की प्रतिबद्धता सदैव सामान्यजन के प्रति रही है और रहेगी।
    पत्रिका के ३१वें वर्ष में प्रवेश अवसर पर पर्यावरण डाइजेस्ट के मई २०१७ विशेष अंक का इन पंक्तियों को अतिथि सम्पादक बनाया गया है। इस अंक में स्थायी स्तम्भ के स्थान पर विशेष सामग्री देने का प्रयास किया गया है। पत्रिका प्रकाशन के तीस वर्ष पूर्ण होने पर तीन अलग-अलग विशेष आयोजन होंगे। पहला आयोजन, रतलाम में ‘‘हिन्दी पत्रकारिता स्थापना दिवस’’ ३० मई को ‘‘पर्यावरण और जनसंचार’’ विषय पर राट्रीय संगोष्ठी होगी। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के प्रोपेâसर पुष्पेन्द्र पाल सिंह अतिथि वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे। नेशनल मीडिया फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र जैन विशेष अतिथि होंग ेऔर म.प्र. के पूर्व मुख्य सचिव शरद चन्द्र बेहार राष्ट्रीय गोष्ठी की अध्यक्षता करेंगे।
    दूसरा आयोजन ५ और ६ जून २०१७ को दिल्ली में होगा। राष्ट्रीय स्वच्छता शिक्षण एवम् शोध संस्थान तथा भारतीय विश्वविद्यालय परिसंघ के प्रायोजन अन्तर्गत भारतीय पारिस्थिति की एवम् पर्यावरण संस्थान नई दिल्ली और पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में इण्डिया इन्टर नेशनल सेन्टर नई दिल्ली के सभागृह में ५ और ६ जून २०१७ को दो दिवसीय विश्व स्वच्छ पर्यावरण शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा। जिसमें स्वच्छ भारत के लिए स्वच्छ पर्यावरण विषय पर विस्तार से चर्चा होगी। लगभग पन्द्रह चुने हुए देशों के राजदूत एवम् उच्चायुक्त अपने-अपने देशों में किए गए स्वच्छता आन्दोलन संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। 
    ज्ञातव्य हो कि, ५ जून १९८० को भारतीय पारिस्थितिक एवम् पर्यावरण संस्थान की स्थापना उस समय हुई थी जब भारत में पर्यावरण मंत्रालय नहीं था। संस्थान द्वारा स्वच्छता शिक्षण एवम् शोध विश्वकोश भी प्रकाशित किया गया है, जो स्वच्छ भारत अभियान सफलता में अहम् भूमिका निभायगा। सम्मेलन में पर्यावरण शिक्षण, आपदा प्रबन्धन क्षेत्रों के विद्वानों, निर्धारकों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों तथा उद्यमियों को भी सम्मानित किया जाएगा। कौशल विकास के माध्यम स्वच्छता के क्षेत्रों में रोजगार मूलक शिक्षा पर आधारित पर्यानुवूâलित उद्यमिता विकास क्षेत्र में प्रशिक्षण संबंधी नीतियों पर प्रकाशित एक पुस्तक का लोकार्पण भी होगा। इस शिखर सम्मेलन ‘‘पर्यावरण संरक्षण नीति निर्धारण’’ सम्बन्धी पारित प्रस्ताव सभी देशों को भेजे जाएगे। 
    तीसरा आयोजन भोपाल में होगा। जिसकी तिथि बाद में घोषित की जाएगी। 
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार - पत्रिका के अतिथि सम्पादक है।)

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