मंथली पीएफ कान्ट्रीब्यूशन पर आज होगा फैसला ! 4 प्रतिशत तक घट सकता है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन पीएफ समेत अन्य सामाजिक सुरक्षा स्कीम में अनिवार्य अंशदान को घटा कर दस फीसदी करने को मंजूरी दे सकता है। अभी कर्मचारी और नियोक्ता की ओर से पीएफ में 12-12 फीसदी का अंशदान किया जाता है। शनिवार को पुणे में होने वाली ईपीएफओ की बैठक में अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो यह अंशदान घट कर 10-10 फीसदी रह जाएगा। अभी कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), एम्प्लॉयी डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआई) आदि में कर्मचारी और नियोक्ता की ओर से मूल वेतन का 12-12 फीसदी जमा कराया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पुणे में शनिवार को ईपीएफओ की होने वाली बैठक के एजेंडे में अंशदान को 10 फीसदी करने का प्रस्ताव शामिल है। श्रम मंत्री को इस बारे में कई ज्ञापन मिल थे। उसमें कहा गया था कि कर्मचारियों को मासिक वेतन में ज्यादा पैसा उसके हाथ में आएगा। साथ ही उस ज्ञापन में नियोक्ताओं का भार भी हल्का करने की मांग की गई थी। इस बीच ट्रेड यूनियनों ने इस प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला लिया है। यूनियनों का कहना है कि इससे सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं कमजोर होंगी। अभी इनमें होता है अंशदान फिलहाल कंपनी और कर्मचारी पीएफ, पेंशन और इन्श्योरेंस स्कीम में एक समान रुप से सैलरी की 12 फीसदी रकम जमा करते है। ईपीएफओ में जो अंशदान होता है उसकी गणना बेसिक सैलरी और डीए से होती है। अब शनिवार को पुणे में होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज अपनी मुहर लगाएंगे। अगर ऐसा होता है तो फिर अगले बार से कर्मचारी ज्यादा सैलरी अपने साथ ले जा सकेंगे। सरकार का तर्क है कि इससे कर्मचारी ज्यादा खर्च कर सकेंगे, जिससे देश की इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मजदूर संगठनों ने जताया विरोध हालांकि सरकार के इस कदम का मजदूर संगठन विरोध कर रहे है। आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संगठन के नेता और ईपीएफओ के ट्रस्टी पी जे बानासुरे ने कहा कि वो इसका विरोध करेंगे, क्योंकि यह कर्मचारियों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव डी एल सचदेवा ने कहा कि ऐसा करने से कर्मचारियों को 4 फीसदी का नुकसान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कर्मचारी और कंपनी दोनों लोग 12-12 फीसदी समान रुप से जमा करते हैं। अगर ये प्रस्ताव लागू हुआ, तो ये घटकर के 20 फीसदी रह जाएगा।