रियल स्टेट कानून (RERA) आज से लागू, घर खरीदने की चाहत वालों को मिलेगी राहत
घर खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया रियल एस्टेट कानून (Real Estate Act) यानी रेरा 1 मई यानी आज से लागू हो गया है. देश के हरक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को अपनी रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी जो कानून के मुताबिक नियम-कानून बनाएगी. साल 2016 में संसद में पास हुए रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की सभी 92 धाराएं आज से प्रभावी हो रही हैं. यह जहां आम आदमी के लिए अच्छी खबर है जबकि बिल्डरों-डेवलपरों के लिए यह तनाव की खबर है.
आइए इससे जुड़ी 10 खास बातें जानें
उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर एवं नागर हवेली, दीव, लक्षद्वीप आदि ने इसके तहत नियम अधिसूचित कर दिए हैं. अभी इसे केवल 3 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इसके तहत नियमों को नोटिफाइ किया है.
केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने इस कानून को लेकर डेवलपरों-बिल्डरों के बीच बने खौफ को लेकर कहा कि यह कानून इस क्षेत्र का बस विनियमन करेगा न कि उसका गला घोंटेगा. उन्होंने कहा- मैं इस इतना कहना चाहता हूं कि डेवलपर अपने वादे पूरा करें. विज्ञापन में जो वादे किए गए हैं, उनका पालन हो.
सरकार के मुताबिक, यह कानून के क्रियान्वयान के एक ऐसे युग की शुरुआत है जहां खरीददार बाजार का बादशाह होगा. सरकार ने मकानों के खरीददारों को बचाने और असली निजी रियल एस्टेट कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए इस कानून को पेश किया है.
इस कानून के तहत जुलाई तक सभी प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. रेरा में कहा गया है कि सभी मौजूदा प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन संबंधित राज्यों की रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ में जुलाई 2017 तक हो जाना चाहिए.
रजिस्टर्ड प्रॉजेक्ट की पूरी जानकारी प्राधिकरण को दी जानी जरूरी है. कानून के तहत अब यह आवश्यक हो गया है कि प्रॉजेक्ट पूरा होने की तारीख दी जाए.
साथ ही अब मकान बनाने वाला बिल्डर, डेवलेपर एक प्रॉजेक्ट का पैसा दूसरे में नहीं लगा सकता. हालांकि कहा जा रहा है कि कुछ राज्यों ने नियमों में कुछ बदलाव कर दिए हैं. हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा जा रहा है कि सरकार ने राज्यों को साफ कहा है कि प्रावधानों में बदलाव न किए जाएं.
रियल एस्टेट कानून के मुताबिक, प्रॉजेक्ट की बिक्री सुपर एरिया पर नहीं बल्कि कॉरपेट एरिया पर करनी होगी. पजेशन में देरी होने या कंस्ट्रक्शन में दोषी पाए जाने पर बिल्डरों को ब्याज और जुर्माना दोनों देना होगा.
अगर कोई बिल्डर ख़रीदार के साथ धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल की सज़ा का प्रावधान भी संसद द्वारा पास किए कानून में है.
कानून के मुताबिक, इसके अलावा बिल्डरों को ख़रीदारों से लिया 70 प्रतिशत पैसा प्रोजेक्ट के अकाउंट में ही रखना होगा. सभी राज्यों में रियल एस्टेट अथॉरिटी होगी जिसके साथ बिल्डरों और रियल एस्टेट एजेंट को रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
भारत में रियल एस्टेट कारोबार की बात करें तो देश में 76 हजार रियल एस्टेट कंपनियां हैं. हर साल 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 2011-15 में हर साल 2,349 से 4,488 प्रॉजेक्ट लॉन्च हुए और 2011-15 में 13.70 लाख करोड़ का निवेश हुआ. वहीं, 2011-15 में 27 शहरों में 17,526 प्रॉजेक्ट लॉन्च किए गए.