राष्ट्र सेविका समिति के प्राथमिक शिविर में बहनों को बताया भारत का गौरवशाली इतिहास
विडंबना है कि भारत के दिए ज्ञान का पेटेंट विदेशी देश लेते हैं
उज्जैन। हमारी आर्य संस्कृति विश्व की सबसे गौरवमयी संस्कृति है और हमारे
ज्ञान से संपूर्ण विश्व सदैव आलोकिक रहा है। हमारी परंपरा के ऋषिगण एवं
महापुरूषों ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को स्पर्श किया है। प्राचीनकाल
में भारत विश्व का सर्वाधिक उत्पादनकर्ता एवं निर्यातक देश था किंतु आज
विडम्बना है कि हमारे प्रतिपादित ज्ञान का पैटेंट विदेश देश लेते हैं।
यह बात राष्ट्र सेविका समिति के प्राथमिक शिविर में बुधवार को मुख्य
वक्ता के रूप में पार्षद राजश्री जोशी ने कही। भारत का गौरवशाली इतिहास
विषय पर संबोधित करते हुए जोशी ने कहा कि भारत की समृति से आकृष्ट होकर
इस पर कई आक्रमण हुए जिन्होंने न केवल भारत को भौतिक रूप से कमजोर किया।
अपितु हमारी संस्कृति पर भी आक्रमण हुआ। आज व्यापक परिप्रेक्ष्य में हमें
ये विचार करना होगा कि बाहरी सभ्यताओं से हम क्या ग्रहण करें और क्या
नहीं। परंतु हमारी आशावादी संस्कृति हमें ये समझाती है कि भारत को
तात्कालिक रूप से अवश्य हानि हुई है परंतु भविष्य में पुनः भारत विश्व
गुरू बनेगा। अध्यक्षता डाॅ. ज्योति उपाध्याय ने की तथा अतिथि स्वागत
अनुपमा चैधरी ने किया। इस अवसर पर पिंकी आर्य, दीपा केवलिया, दीपा पांडे
आदि उपस्थित थे।