मनुष्य जन्म है अनमोल
मनुष्य जन्म अनमोल है। मनुष्य जन्म का लक्ष्य सांसारिक भोग नहीं, बल्कि ईश्वर को प्राप्त करने का लक्ष्य होना चाहिए। मनुष्य की बाल्यवस्था और जवानी संसार को भोगने में निकल जाती है, लेकिन जो समय निकल गया, उसे भूल जाओ। जीवन के बचे चार दिन भी ईश्वर को ध्यान में रखकर गुजारेंगे तो संस्कार बन जाएंगे। शरीर समाप्त होने पर भी यात्रा समाप्त नहीं होगी, फिर अगले जन्म से यात्रा प्रारंभ होगी। अच्छे कार्य करते रहें तो मनुष्य जन्म मिलेगा। श्वास रूपी धन ईश्वर के चिंतन में लगाया तो लोक परलोक सफल हो जाएगा।
यह बात स्वामी भगतप्रकाश महाराज ने प्रेम प्रकाश आश्रम में शुक्रवार को पांच दिनी वार्षिक महोत्सव के दूसरे दिन कही॥ उन्होंने कहा अभी कुछ नहीं बिगडा है। अपने मन को जगाएं। दया, धर्म, शुभ कर्म में मन को प्रवृत्त कर मन से परमात्मा का सुमिरन करें। जग की आशाएं दुखदाई हैं। इनसे निवृत्त होकर इस अनमोल मनुष्य जीवन में प्रभु प्राप्ति का लक्ष्य प्राप्त कर लेना ही मनुष्य का धर्म है। इसके पूर्व अहमदाबाद से आए संत मोनूराम ने कहा कि हर दुख की दवा यहां मिलती है, श्रद्धा व विश्वास से गुरु चरणों की प्रीत रखने से ही कल्याण होगा। मुरैना से आए ख्यात भजन गायकों ने स्वामी टेऊराम की महिमा भजनों से बताई। आश्रम के पीठाधीश संत लालू साईं प्रेमप्रकाशी व प्रचार प्रमुख प्रकाश पारवानी ने बताया कि महोत्सव के तीसरे दिन सुबह 8 से 10 बजे तक प्रार्थना, सत्संग होगा।