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विप्रो ने 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला


 

देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी विप्रो ने कर्मचारियों के कामकाज की सलाना समीक्षा के बाद अपने सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.

सूत्रों के अनुसार, विप्रो ने करीब 600 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. हालांकि कुछ चर्चाओं में यह संख्या 2,000 तक बताई जा रही है. दिसंबर 2016 के अंत तक कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख से अधिक थी.

इस बारे में संपर्क करने पर विप्रो ने कहा कि अपने कारोबार लक्ष्यों का अपने कार्यबल के साथ समायोजन करने के लिए वह नियमित आधार पर कर्मचारियों के कामकाज का मूल्यांकन करती रहती है. यह कंपनी की रणनीति प्राथमिकताओं और ग्राहक की जरूरत के अनुसार किया जाता है. इस मूल्यांकन के बाद कुछ कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ती है, जिनकी संख्या हर साल बदलती रहती है. हालांकि, कंपनी ने निकाले गए कर्मचारियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

विप्रो ने कहा कि उसके प्रदर्शन आकने की प्रक्रिया में मेंटरिंग, री-ट्रेनिंग जैसे पहलू शामिल हैं. कंपनी की चौथे क्वॉर्टर की रिपोर्ट और पूरे साल के आंकड़े 25 अप्रैल को आएंगे.

बता दें कि अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे कई देशों के वीजा नियमों को लेकर भारतीय आईटी कंपनियां में माहौल पूरी तरह सामान्य नहीं है. ये कंपनियां कर्मचारियों को क्लाइंट की साइट पर भेजने के लिए अस्थायी वर्क वीजा का इस्तेमाल करती हैं.

भारतीय आईटी कंपनियां 60 प्रतिशत से ज्यादा राजस्व उत्तरी अमेरिका के बाजारों से, जबकि 20 प्रतिशत यूरोप से और बाकी अन्य जगहों से जुटाती हैं. ऐसे में इन देशों में वीजा नीति के पहले से ज्यादा सख्त होने जाने के चलते आईटी कंपनियां चुनौती महसूस कर रही हैं.

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