ग्रामीण गरीब परिवारों को सस्ते ऋण उपलब्ध कराएंगी केन्द्र सरकार
केंद्र की मोदी सरकार एक माइक्रो-क्रेडिट प्रोग्राम बना रही है ताकि दी जा सके। प्रस्ताव यह है कि अगले 3 से 5 वर्षों में प्रति परिवार 1 लाख रुपए तक कर्ज दिया जाए और इसके बदले कोई चीज गिरवी न रखवाई जाए। साथ ही इस कर्ज पर लगने वाले ब्याज में सरकारी की ओर से सब्सिडी दी जाए। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा कि हमने कर्ज लेने की प्रक्रिया सरल कर दी है। हम हर परिवार की आजीविका के साधनों के ब्योरे जुटा रहे हैं ताकि उसके मुताबिक कर्ज दिया जा सके।'
8.5 करोड़ गरीब परिवारों को किया चिन्हित
सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना में करीब 8.5 करोड़ गरीब परिवारों को चिन्हित किया गया है। साल 2019 तक इन परिवारों को इस योजना से जोड़ा लिया जाएगा। इसका लक्ष्य यह है कि इन परिवारों की निर्भरता स्थानीय तौर पर कर्ज देने वालों और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों पर से घटाई जाए क्योंकि ये बहुत ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देते हैं जबकि बैंक अमूमन 11 प्रतिशत इंट्रेस्ट लेते हैं। नए प्रस्ताव के तहत सबवेंशन के कारण बॉरोअर पर ब्याज का बोझ काफी कम होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषि एवं पशुपालन मंत्रालय के साथ एक मेमोरंडम पर दस्तखत किया ताकि ऐसे परिवारों को पोल्ट्री फार्म लगाने और बकरी पालन आदि कार्यों के लिए कर्ज दिया जा सके।
ग्रामीण विकास मंत्रालय 4 प्रतिशत तक इंट्रेस्ट रेट सबवेंशन मुहैया कराएगा ताकि इन परिवारों को लोन 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिल सके। देश के 250 पिछड़े जिलों में परिवारों को कर्ज वक्त पर चुकाने पर ब्याज में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलेगी और इस तरह उनके मामले में प्रभावी ब्याज दर 4 प्रतिशत रह जाएगी। लोन मुहैया कराने के मामले में मिनिस्ट्री ग्रामीण इलाकों में कर्ज देने के विभिन्न राज्यों के मॉडल्स का अध्ययन कर रही है।
तमिलनाडु में पंचायत लेवल फेडरेशन और तेलंगाना में स्त्री निधि को-ऑपरेटिव स्वयं सहायता समूहों को कर्ज देते हैं। 2015-16 में स्वंय सहायता समूहों की ओर से जुटाए गए कर्ज का अंकड़ा 40 प्रतिशत बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो गया था। इन समूहों का गठन 2011 में किया गया था और तबसे इन्होंने लगभग 70,000 कड़ रुपए का कर्ज जुटाया है। इस पैसे से ग्रामीण इलाकों में खेती-बाड़ी से इतर दूसरे कार्यों में रोजगार के मौके बनाए जाते हैं।