ब्रह्मज्ञानकीअमोघपद्धति ही नशा उन्मूलनमेंसहायक-साध्वीविश्वम्भराभारती
समाज की प्रत्येक समस्या मन के स्तर पर जन्म लेती है तो इसका समाधान भी मन के स्तर पर ही होना चाहिए- साध्वी विश्वम्भरा भारती
दिल्ली, शालीमार बागमें दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत भगवान की दिव्य लीलाओं व उनके भीतर छिपे हुए गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंग व सुमधुर भजन संकीर्तन के माध्यम से उजागर किया जा रहा है। साध्वी विश्वम्भरा भारती जी ने कथा प्रसंग के दौरान कलि को दिये गए पाँच स्थानों का प्रतीकात्मक रहस्य सिद्ध करते हुए बताया कि आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी, निरंतर तनाव व दबाव तथा पल-पल बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने आज युवा पीढ़ी को नशे के भयावह साम्राज्य का पथिक बना दिया है। स्वतंत्र देश का वासी होते हुए भी वह नशे की गिरफ्त में आकर पराधीनता का जीवन व्यतीत कर रहा है। जिस युवा के सहारे कोई देश स्वयं के लिए समुज्जवल भविष्य की किरणें देखता है आज वही युवा अपने देश के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ा हो गया है। असामाजिक तत्त्व तो पहले ही देश पर घात लगाकर बैठे हैं क्योंकि सारी दुनिया में से सबसे ज्यादा युवा भारत में ही हैं। नशीले पदार्थ घरों में सेंध लगाकर उनके हंसते-खेलते जीवन को लूट रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप पारिवारिक और नैतिक मूल्य स्वार्थपरायणता की चिता पर जल पर खाक हो रहे हैं।
साध्वी जी ने कहा कि समाज की प्रत्येक समस्या मन के स्तर पर जन्म लेती है और इसका समाधान भी मन के स्तर पर ही होना चाहिए। जब तक मानव मन को नियंत्रित करने की पद्धति नहीं प्रदान की जाती तब तक समाज में भयानक कुरीतियाँ व व्याधियाँ जन्म लेती रहती हैं। इस मन को काबू में करने हेतु ब्रह्मज्ञान की नितांत आवश्यकता है। जिससे विवेक शक्ति जागृत होती है। फिर ही व्यक्ति मन में उठती दुर्भावनाओं व वासनाओंपर नियंत्रण रख सकता है। नशा उपचार हेतु सरकारी, गैर सरकारी संगठनों द्वारा उपचार साधन या पद्धति लागू हो चुकी है लेकिन यह कितनी कारगर सिद्ध हो रही है यह किसी से भी नहीं छिपा है। भारत का ड्रग रिकॉर्ड कहता है कि उपचार के बावजूद भी 80 प्रतिशत नशाखोर फिर से नशा करने लगते हैं। उपचार प्रक्रिया से गुजरने के बाद उनका शरीर नशा मुक्त हो जाता है पर नशे की लत दिमाग से नहीं निकल पाती। समाज में फैल रही नशे की समस्या पर रोक लगाने के लिए तथा जन मानस का सही मार्ग दर्शन करने के लिए संस्थान के संस्थापक व संचालकसर्व श्री आशुतोष महाराज जी ने ‘बोध’ नामक नशा उन्मूलन कार्यक्रम की स्थापना की जिसके अन्तर्गत ब्रह्मज्ञान की अमोघ पद्धति के द्वारा हज़ारों की संख्या में लोग नशा मुक्त हो चुके हैं। साध्वी जी ने कुन्ती व भीष्म पितामाह की करुण पुकार प्रसंग व ध्रुव को ईश्वर प्राप्ति प्रसंग श्रवण करवा करुणा की ऐसी धारा प्रवाहित की जिसमें सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।