आचार्य श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी का देवलोकगमन
आचार्यश्री के अंतिम दर्शन हेतु उर्जा मंत्री सहित उज्जैन से करीब 200 जैन समाजजन भांडवपुर रवाना
उज्जैन। दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. के पट्टधर आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरिश्वरजी म. सा. का रविवार और सोमवार की दरमियानी रात १२.१५ बजे भांडवपूर तीर्थ ( भीनमाल) में देवलोक गमन हो गया। आचार्यश्री के देवलोकगमन से त्रिस्तूतिक परंपरा व समस्त जैन समुदाय में शोक व्याप्त है। खबर लगते ही सकल उज्जैन जैन समाजजन अंतिम दर्शन हेतु भांडवपुर रवाना हो गए।
नवयुवक परिषद् साचिव वीरेन्द्र गोलेचा के अनुसार गुरुदेव श्री की अंतिमविधि आज 18 अप्रैल सुबह 10 बजे भाण्डवपुर तीर्थ में होगी। अंतिम दर्शन हेतु सोमवार को शहर से उर्जा मंत्री पारस जैन, शुशील गिरिया, मनीष कोठारी, डॉ. संजीव जैन, शांतिलाल रुणवाल, नरेश बाफना, मदन रुणवाल, नविन बाफना, अभिषेक सेतिया, नितेश नाहटा, वीरेन्द्र गोलेचा, संजय कोठारी, दीपक डागरिया, राकेश बनवट, नरेन्द्र तल्लेरा, सुधीर मेहता, सुनील भटेवरा के साथ ही उज्जैन से 200 जैन समाजजन भाण्डवपुर रवाना हो गए। गोलेचा के अनुसार आचार्यश्री का जन्म थराद तहसील के पेपराल गांव में 11 दिसंबर 1936 में हुआ था। आपका नाम पूनमचंद रखा गया। 16 वर्ष की युवा अवस्था में आचार्यदेव श्रीमद् यतीन्द्र सूरीश्वरजी म. सा. के वरद हस्ते आप दीक्षित हुए और आपका नाम मुनि जयन्तविजय रखा गया। सन् 1991 जावरा में आपश्री को तत्कालीन उपराष्ट्रपति महामहिम डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने राष्ट्र सन्त से अलंकृत किया।