आत्म कल्याण का मार्ग ज्ञान से ही खुलता - विश्वरत्नसागर महाराज
इंदौर। सदगुणों की रोशनी तभी जन-जन तक पहुंचेगी, जब हम पद के अनुरूप नम्रता और ज्ञानार्जन का भी प्रयास करेंगे। आज समाज को ऐसे ही रत्नों की जरूरत है, जो अज्ञान के अंधकार और अंहकार को दूर कर अपने आचार-विचार से जिनशासन के सिद्धांतों और संदेशों को जन-जन तक पहुंचाए। आत्म कल्याण का मार्ग ज्ञान से ही खुलता है।
यह बात आचार्य विश्वरत्न सागर सूरीश्वर महाराज ने महावीर बाग में आयोजित धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि रामायण के चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सकारात्मक विचारों के थे। प्रत्येक भाई में कोई न कोई गुण था। अपने गुणों से ही इंसान ऊंचा बनता है। हमारी सोच जितनी व्यापक होगी, व्यक्तित्व भी उतना ही आभावान होगा। इन चारों भाईयों के चरित्र को आज के युग में भी अनुकरणीय माना जाता है। सभा के पूर्व दलालबाग से महावीर बाग तक मंगल प्रवेश जुलूस निकाला गया। विधायक सुदर्शन गुप्ता, पार्षद दीपक जैन टीनू, मनोज मिश्रा आदि मौजूद थे।