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प्रकाश और उजाले में जीने का संकल्प ही सूर्य पूजा है - संतश्री मोरारी बापू


 श्रीराम कथा महोत्सव के दूसरे दिन संतश्री मोरारी बापू ने कहा कि सबसे बड़ा रोग-क्या कहेंगे लोग! शायर मजबूर की पंक्तियां हैं यह। इसलिए लोगों के कहे पर ध्यान न दें। उन्हें कोई और काम नहीं है। यही करने दो। आप कुछ भी करें, आलोचक तो कुछ न कुछ कहेंगे ही। कथा का दूसरा दिन...

गुरू कभी बेवफा नहीं हो सकता क्योंकि वह छल नहीं करता: मोरारी बापूरामकथा के बीच में बापू ने सुनाए भजन और चौपाई, कहा- इसे मैं प्रेम यज्ञ कहता हूं श्रीराम कथा के शुभारंभ पर बोले मोरारी बापू- मेरे लिए प्रत्येक कथा एक प्रयोग है
1. स्वास्थ्य ठीक न हो तो सबसे पहले इसी का ध्यान रखें। तुलसी को छूने से ही मान लें कि स्नान हो गए। 
2. लोग हिमालय घूमने जाते हैं अौर तस्वीरें खींचने में अटक जाते हैं, जबकि वहां हिमालय को आत्मसात करना है। 
3. अपने नौकर-चाकरों को प्राणों की तरह प्रिय मानो। वे तुम्हारे सहचर हैं। जहां सेवकों को प्यार नहीं, वहां शंकर, विष्णु किसी का वास नहीं।
4. विष्णु का दसवां अवतार सदगुरू होगा। उससे अधिक निष्कलंक और निश्छल कौन हो सकता है।
5. जहां हल्ला होता है, वहां अल्लाह नहीं होता और जहां अल्लाह होगा, वहां हल्ला-गुल्ला नहीं।

दूसरों का कल्याण ही शिवपूजा है

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