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भगवान से बड़ा कोई दयालु नहीं - देवकीनंदन ठाकुर जी


इंदौर। भगवान से बड़ा कोई दयालु नहीं हो सकता। हम उसकी तरफ एक कदम बढ़ाते हैं, वह हमारी तरफ साठ कदम बढ़ा देता है। दुर्भाग्य यह है कि हम कई बार भगवान से भी बड़े होने का भ्रम पाल लेते हैं। दुनिया का बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा व्यक्ति भी खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाएगा। हमारा जीवन तभी धन्य माना जाएगा, जब हमारी अंतिम यात्रा में शामिल लोग रोते हुए चलें।

यह बात कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने रविवार को बाणेश्वर कुंड पर कही। वे मां कनकेश्वरी सेवा न्यास की मेजबानी में आयोजित भागवत ज्ञानयज्ञ में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्मग्रंथ या अन्य माध्यम से यह पता नहीं लग सकता कि मरने वाला स्वर्ग जा रहा है या नर्क। हमारे कर्म ही स्वर्ग और नर्क का निर्धारण करते हैं। सत्संग यदि निष्ठा के साथ आधे पल के लिए भी हो गया तो जीवन धन्य हो जाएगा। भक्त के साथ रहने वाला भक्त ही बनेगा, विभक्त नहीं। सत्संग से ही हमारे चरित्र और आचरण का निर्माण होता है। एक क्षण का सत्संग भी जीवन की दशा और दिशा बदलने में सक्षम होता है। संयोजक गोलू शुक्ला ने बताया कि 27 मार्च को रात 8 बजे से बाणेश्वर धाम पर भजन गायक अनूप जलोटा की भजन संध्या होगी।

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