भागवत कल्याण का ग्रंथ है। - भागवत भूषण देवकीनंदन ठाकुर
इंदौर। कलियुग में इंसान की उम्र बहुत कम मानी गई है। जिस परमात्मा ने हमें यह सुंदर शरीर और जीवन दिया है, उसकी भक्ति करने के लिए हमारे पास 10 मिनट का वक्त भी नहीं है। आपाधापी भरी जिंदगी में हम और हमारी नई पीढ़ी भटक रही है। कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले नहीं जानते कि हमारे पौराणिक धर्म ग्रंथों में संस्कारों और संस्कृति का कितना अनमोल खजाना भरा पड़ा है। जीवन को सार्थक बनाकर मोक्ष की मंजिल तक पहुंचाने की क्षमता केवल भागवत ग्रंथ में ही है।
यह बात भागवत भूषण देवकीनंदन ठाकुर ने शनिवार को बाणेश्वर कुंड में कही। वे मां कनकेश्वरी सेवा न्यास की मेजबानी में आयोजित 'नमामि देवी नर्मदे' अभियान को समर्पित भागवत ज्ञानयज्ञ व 11 लाख रुद्राक्ष के अभिषेक महोत्सव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महिलाएं माथे पर पल्लू और मस्तक पर बिंदिया अवश्य धारण करें। भारतीय समाज मर्यादा और गरिमा से चलता है। भागवत कल्याण का ग्रंथ है। बाणेश्वर कुंड पर कथा करना और सुनना इसलिए भी सौभाग्य की बात है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की है और वनवास काल में भगवान राम ने तीर से कुंड प्रकट कर सीता मैया की प्यास बुझाई है। व्यास पीठ का पूजन विधायक उषा ठाकुर, रमेश मेंदोला, संयोजक गोलू शुक्ला, अशोक दीक्षित, हरिहर पांडे एवं आईपीएस यादव ने किया।