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देश के गांवों में केवल 13 प्रतिशत के पास ही हैं गैस सिलेंडर , रोज 15 करोड़ महिलाएँ 1200 सिगरेट के बराबर धुआं झेल रही


डॉ. चंदर सोनाने
    विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सन 2014 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया हैं कि भारत में अभी 70 करेड़ लोग ठोस या पारंपरिक ईंधन पर ही निर्भर हैं। यह सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसी प्रकार जनगणना 2011 के अनुसार देश के गांवों में करीब 13 प्रतिशत के पास ही गैस सिलेंडर हैं। हालांकि राजीव गांधी एलपीजी योजना और फिर अब उज्जवला योजना में करीब 1.9 करोड़ गैस कनेक्शन देने से गांवो मे स्थिति थोडी सुधरी हैं । पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में गांवों में 30 फीसदी के करीब घरों मे एलपीजी पहुंच चुकी हैं। अभी भी स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती हैं। इसमें और तेजी से कार्य करने की आवश्यकता हैं।
                    एक अनुमान के अनुसार देष में 15 करोड परिवार की महिलाएं अभी भी लकडी , कोयला और गोबर के कंडे जलाकर खाना बनाती हैं। इनके घर तक अभी भी एलपीजी गैस नहीं पहुंची हैं। ये रोजाना कई किलोमीटर पैदल चलकर जंगलों से लकडिया बीन कर लाती हैं। और हर दिन चुल्हे की आंच से उठने वाले धुंए की चपेट में आकर बीमार होती हैं। 
                   देश में हर साल 5 से 9 लाख लोगों की मौत केवल गैर स्वच्छ ईंधन के सहारे खाना बनाने के कारण होती हैं। इन 15 करेड़ में से 6 करोड महिलाएँ तो स्वयं वर्ष 2011-13 के उस सामाजिक , आर्थिक और जाति जनगणना के हिसाब से है , जिसके आधार पर उज्जवला योजना के कनेक्शन दिए जा रहे हैं। यह सर्वे तत्कालीन यूपीए सरकार ने पूरा करवाया था। जबकि अन्य 9 करोड परिवार भी पेट्रोलियम मंत्रालय के ही आंतरिक सर्वे का हिस्सा हैं। इसके माध्यम से उसने यह जानने का प्रयास किया था कि इस अध्ययन के अलावा भी कितने ऐसे परिवार हैं जिन्हें अभी स्वच्छ  ईंधन की जरूरत है। 
                कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में ग्लोबल एन्वायरमेंट हेल्थ के विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉक्टर किर्क स्मिथ के अनुसार जब महिलाएँ चुल्हें पर लकडी जलाकर खाना बनाती हैं तो एक घंटे के भीतर करीब 400 सिगरेट जलाने के बराबर हानिकारक धुंआ हो जाता हैं। भारत में ग्रामीण महिलाओं को कम से कम तीन घंटे रोजाना रसोई में बिताने ही होते हैं। इस हिसाब से ये महिलाएँ रोजाना कम से कम 1200  सिगरेट के जलने के बराबर धुंए के बीच भोजन बना रही हैं। यह एक अत्यंत खतरनाक स्थिति हैं। इसमें बदलाव की सख्त आवश्यकता हैं।
                  यह खुशी की बात हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता वाले कार्यो में उज्जवला योजना भी हैं। वे सर्वाधिक इस पर ध्यान केंद्रीत भी कर रहे है। पेट्रोलियम मंत्री श्री धमेंद्र प्रधान से अपेक्षा हैं कि वे सर्वोच्च प्राथमिकता पर इस पर ध्यान केंद्रीत करेंगे और महिलाओं को इस जहरयुक्त धुंए से निजात दिलवाएंगे।
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