top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << आईआईटी स्कॉलर को फैलोशिप की राशि दोगुनी करने की जरूरत

आईआईटी स्कॉलर को फैलोशिप की राशि दोगुनी करने की जरूरत



संदीप कुलश्रेष्ठ
 
                   इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी संस्थानों में पढ़ने वाले पीएचडी स्कॉलर अब यदि बीच में ही अपना कोर्स छोड देते हैं , तो उन्हें दी गई फैलोशिप की पूरी राशि संस्थान को वापस करनी होगी। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री रिसर्च फैलोशिप प्रोग्राम से संबंधित नियमों में हाल ही में बदलाव किया हैं। इस प्रस्ताव को अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी हैं। 
                    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे उच्च संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र यदि पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड रहे हैं, तो हमें इस समस्या के मूल में जाने की आवश्यकता हैं। वर्तमान में आईआईटी में पढ़ने वाले पीएचडी स्कॉलर को मात्र 28 हजार रूपये प्रति माह की फैलोशिप ही मिलती हैं। यह राशि अत्यंत कम हैं। विदेशों में इससे कई गुना अधिक फैलोशिप राशि मिलती हैं।  यहां यह सोचने की जरूरत हैं कि आईआईटी से पीजी करने के बाद छात्रों को जो सामान्यतः नौकरी मिलती हैं , वह प्रतिमाह लाखों में होती हैं। यही नहीं अनेक छात्रों को आईआईटी में पढ़ने के बाद स्नातक करने के तत्काल बाद ही जो नौकरी मिलती हैं वह भी लाखों की होती हैं । कुछ छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए पीजी करते हैं, तो सहज रूप से उनका मानस यह बनता हैं कि पीजी के बाद उन्हें और अच्छी और अधिक राशि वाली नौकरी मिलेगी। किंतु ऐसा नहीं होता हैं। 
                     आई आई टी में पीजी करने के बाद शोध में रूचि होने के कारण कुछ छात्र पीएचडी करने का तय करते हैं। यह सोचने वाली बात हैं कि आईआईटी से स्नातक करने वाले छात्रों को ही जब नौकरी मिलती हैं तो वह लाखों की मिलती हैं। पीजी करने के बाद स्वाभाविक रूप से उनकी यह अपेक्षा रहती हैं कि उन्हें मिलने वाली प्रतिमाह की राशि और बडे । किंतु विभिन्न कारणों से पीजी करने वाले छात्रों को भी जब नौकरी नहीं मिलती है तो कुछ मजबुरन पीएचडी करने लग जाते हैं। कुछ तो शोध में रूचि होने के कारण और कुछ मजबुरन पीएचडी करते हैं। पीएचडी करने के दौरान जब छात्र यह देखता हैं कि उन्हें फैलोशिप मात्र 28 हजार रूपये ही मिल रही हैं और इसी बीच जब उसे कोई अच्छे संस्थान में अच्छे वेतन पर नौकरी मिल जाती हैं तो वह शोध को तिलांजलि देकर नौकरी की राह पकड़ लेता हैं। 
                    मानव संसाधन विकास मंत्रालय को चाहिए कि वह इस संबंध में अध्ययन करें कि छात्र पीएचडी का कोर्स बीच में ही अधूरा क्यों छोड़ते हैं तो उन्हें इसके अनेक कारण प्राप्त होंगे । उन्हीं अनेक कारणों में एक प्रमुख कारण हैं पीएचडी स्कॉलर को मिलने वाली प्रतिमाह अल्प राशि। इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय पीएचडी स्कॉलर को प्रतिमाह मिलने वाली शोधवृत्ति को कम से कम दोगुनी करें। ऐसा करने से शोधार्थी रूचि से अपना शोध कार्य पूर्ण करेगा। वह अपना शोध कार्य कभी अधूरा नहीं छोडेगा। उसने जिस रूचि के साथ पीएचडी करना शुरू किया हैं उसे पूर्ण करकर ही छोडेगा। 
                     मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर को चाहिए कि वे पीएचडी अधूरी छोडने के मूल कारणों में जाएं और उन कारणों को दूर करने का प्रयास करें। न कि पीएचडी बीच में छोड देने वाले शोधार्थी से उनकी फैलोशिप की राशि वापस लेने के लिए नियम बनाएं। ऐसे नियम उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने वाले कतई नहीं कहे जा सकते । यूं भी हमारे देश में विदेशों की तुलना में शोंध के प्रति रूचि अत्यंत कम हैं। और बढ़ावा न के बराबर हैं। इसलिए मानव संसाधव विकास मंत्रालय को चाहिए कि वे उच्च शिक्षा विशेषकर पीएचडी करने की दिशा में विद्यार्थी आकर्षित हों , ऐसा करने के लिए ठोस पहल करें।                     
                    ----------000----------

Leave a reply