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आदिनाथ जयंती पर धर्मध्वजा के पीछे चला संपूर्ण दिगंबर जैन समाज



उज्जैन। प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जन्म जयंती महोत्सव पर बुधवार को श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर फ्रीगंज से चल समारोह निकला। जुलूस में चांदी के रथ पर भगवान आदिनाथ को विराजित किया गया। रथ को समाजजन खिंचते हुए चले। बच्चों का बैंड आगे चल रहा था। महिलाएं केसरिया रंग के वस्त्र धारण किये हुए थी तो पुरूष श्वेत वस्त्रों में शामिल हुए। आगे धर्मध्वजा लहरा रही थी तो पीछे संपूर्ण दिगंबर जैन समाज चल रहा था।

महासमिति के अध्यक्ष रमेश जैन एवं सचिन कासलीवाल के अनुसार जुलूस शहीद पार्क, कल्याणमल जैन मंदिर, प्रियदर्शनी चैराहा, टाॅवर होता हुआ पुनः पंचायती दिगंबर जैन मंदिर पहुंचा। जगह-जगह आदिनाथ भगवान की आरती हुई। भगवान को चांदी के रथ से उतारकर पांडुशिला पर विराजित किया गया तथा अभिषेक किया। तत्पश्चात धर्मसभा आयोजित हुई जिसमें सर्वप्रथम निर्मल सोनी परिवार ने चित्र अनावरण किया। दीप प्रज्जवलन अशोक बड़जात्या, अशोक जैन चायवाला, रमेश जैन, सुगनचंद सेठी, महेश जैन ने किया। मंगलाचरण अर्चना सिंघई ने प्रस्तुत किया। महेश जैन, दिनेश जैन सुपरफार्मा ने शास्त्र भेंट किया। राष्ट्रीय महासमिति के अध्यक्ष अशोक बड़जात्या, राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष सुरेन्द्र बाकलीवाल, सामाजिक संसद अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला का शाल श्रीफल भेंटकर रमेश जैन, कमल बड़जात्या, शैलेन्द्र शाह, सुनील कासलीवाल वस्त्रलोक, प्रवीण रावत, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट एवं पाश्र्वनाथ पंचायती मंदिर के ट्रस्टियों ने सम्मान किया। मुनिश्री को श्रीफल भेंट नारी चेतना मंडल की पुष्पा बज, जैन मित्र मंडल के अध्यक्ष नितीन डोसी, इंदरचंद जैन आदि ने किया। मुनिश्री का पाद प्रक्षालन सुनील जैन, महेश जैन ने किया। श्रीजी का कलशाभिषेक केसरीमल जैन, अशोककुमार जैन, रूपेशकमल कुमार मोदी ने किया। संपूर्ण समाज को स्वल्पाहार कराने का लाभ धीरेन्द्र सेठी को मिला। मंच संचालन धर्मेन्द्र सेठी ने किया। मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि 68 बार तीर्थ स्थानों की वंदना करने में भी जितना पुण्य नहीं लगता है उतना पुण्य आदिनाथ भगवान के नाम लेने मात्र से ही मिल जाता है। युवाओं को समाज में आगे आना चाहिये। उन्हें जागृत करने की आवश्यकता है। समाज का उद्धार युवा ही कर सकते हैं। उनके जोश और बुजुर्गों का होश किसी भी समाज की उन्नति का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। आपने कहा कि भगवान आदिनाथ ने दुनिया को जीने का रास्ता बताया ऐसे भगवान की जन्म जयंती मनाने वालों को आशीर्वाद। दुनिया में जितने भी शोध चल रहे हैं उन सारे शोधों में जैनियों पर आधारित ग्रंथों पर सबसे ज्यादा शोध चल रहे हैं। इसी आधार पर दुनिया में एक नया जीवन मिल रहा है। मुनिश्री के सानिध्य में शाम को आदिनाथ भगवान की आरती हुई। संपूर्ण दिगंबर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना, अभिषेक, शांतिधारा हुई।

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