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जन-धन खातों के प्रबंधन के लिए पैनल्टी शुल्क जरूरी -एसबीआई



 भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बैंक खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले को उचित ठहराया है. देश के सबसे बड़े बैंक ने  कहा है कि उसे शून्य शेष वाले बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के बोझ को कम करने के लिए कुछ शुल्क लगाना पड़ेगा. बैंक ने कहा है कि उसे सरकार की ओर से जुर्माने के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अभी तक औपचारिक रूप से कोई सूचना नहीं मिली है. यदि सरकार की ओर से कुछ आता है तो उस पर विचार किया जाएगा. एसबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनधन खातों पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.

इससे पहले सरकार ने एसबीआई से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था. सरकार ने निजी बैंकों से भी कैश ट्रांजेक्शन और डिपॉजिट करने के नए नियमों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है. उधर, बैंकों के इन नए फैसलों का विरोध हो रहा है.

पिछले सप्ताह ही देश के सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक ने कम बैंलेस पर पेनल्टी लगाने का निर्णय लिया था. इतना ही बैंक ने अपनी अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किया है. नए बदलाव 1 अप्रैल से लागू होंगे.

पिछले सप्ताह एसबीआई ने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने के प्रावधान को फिर लागू करने की घोषणा की थी. इसके अलावा उसने अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्कों में भी संशोधन किया था. नए शुल्क पहली अप्रैल से लागू होंगे. सरकारी बैंक को अपने इस कदम के लिए विपक्षी दलों सहित अन्य लोगों की ओर से चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.

एसबीआई की चेयरमैन अरंधति भट्टाचार्य ने यहां महिला उद्यमियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर अलग से कहा, "आज हमारे ऊपर काफी बोझ है. इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं. इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है. हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है."

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