बैंक का न्यूनतम बैलेंस का नियम तानाशाही
संदीप कुलश्रेष्ठ
हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने का नियम अनिवार्य कर दिया हैं। यह नियम देशभर में 1 अप्रैल 2017 से लागू होगा। इस नियम के अनुसार न्यूनतम बैलेंस नहीं रहने पर 1 अप्रैल से खाताधारकों को पेनल्टी देना होगी। बैंक यह पेनल्टी अपने आप खाते में से काट लेगी। इसके लिए उसे किसी भी खाताधारक से पुछने की जरूरत नहीं होगी। बैंक का यह नियम तानाशाही जैसा हैं। इसे तुरंत वापस लेने की जरूरत हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जो बयान जारी किया हैं। उसके अनुसार खाताधारकों को अपने खाते में महानगरों में न्यूनतम पांच हजार रूपये जमा करने ही होंगे। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में तीन हजार रूपये और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में दो हजार रूपये न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी कर दिया गया हैं । बैंक ने अपने इस नियम में ग्रामीण क्षेत्र को भी नही छोड़ा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के खातों में कम से कम एक हजार रूपये जमा रखने ही होंगे अन्यथा उन्हें भी पेनल्टी देनी होगी। यह पेनल्टी एक तरह से जबरिया वसूली होगी।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जो पेनल्टी वसूली जाएगी, उसके अनुसार न्यूनतम बैलेंस में जितना पैसा रहेगा उसके अंतर के आधार पर यह पेनल्टी वसूली जाएगी। उदाहरण के लिए महानगरों में अंतर 75 प्रतिशत से ज्यादा हुआ तो पेनल्टी 100 रूपये और उस पर सर्विस टैक्स भी देना होगा। यदि यह कमी 50-75 प्रतिशत रहती हैं तो बैंक 75 रूपये और उस पर सर्विस टैक्स वसूलेगी। यदि 50 फीसदी से कम अंतर पाया गया तो बैंक 50 रूपये और उस पर सर्विस टैक्स वसूलेगी। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में 20 से 50 रूपये के बीच पेनल्टी वसूली जाएगी।
बैंक द्वारा न्यूनतम बैलेंस नही रखने पर 1 अप्रैल से पेनल्टी लेने के नियम का चारों ओर विरोध शुरू हो गया हैं । सोशल मीडिया में जोर षोर से इस नियम का विरोध हो रहा हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय हैं कि गरीबों की विभिन्न योजनाओं में उन्हें उनके खाते में अनुदान का सीधा लाभ पहुंचाने के लिए जीरो बैलेंस पर देश भर में खाते खोले गए थे। बैंक का नियम उन पर भी लागू होगा। जब उनके खाते में पैसे ही नही हैं, तो क्या लगातार उनपर पेनल्टी ही लगती रहेगी ? इस बारे में अभी कोई खुलासा नहीं हुआ हैं । देश भर में न्यूनतम बैलेंस रखने के बैंक के नियम के हो रहे विरोध को कांग्रेस ने लपक लिया हैं। कांग्रेस को बैठे बिठाए यह मुद्दा मिल गया हैं। उसने खुलकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया हैं। उज्जैन में कांग्रेस ने विभिन्न बैंको के समक्ष विरोध प्रदर्शन भी किया। उसने न्यूनतम बैलेंस की सीमा तुरंत समाप्त करने की मांग की हैं।
बैंकों द्वारा एटीएम से तीन बार से अधिक नगद राशि निकालने पर भी चार्ज लेने की घोषणा की गई हैं। विभिन्न बैंकों द्वारा यह चार्ज 50 रूपये से 150 रूपये तक लेने की बात कही जा रही हैं। बैंकों की ओर से कहा जा रहा हैं कि इससे डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा। उनकी इस कारवाई से उनका दावा हैं कि नगद लेन देन पर रोक लगेगी। किंतु बैंक यह भूल जाते हैं कि बैंक उपभोक्ता की सुविधा के लिए हैं न कि चार्ज लेकर पैसे कमाने के लिए। बैंको को सबसे पहले उपभोक्ताओं की आवश्यकता और सुविधाओं को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। इस तरह से धीरे धीरे बैंक तानाशाह हो जाएगी। और एक दिन ऐसा आएगा जब लोगां को अपने पैसे बैंक में रखने पर ब्याज देने की बजाय वह चार्ज लेना शुरू कर देगी। सरकार और बैंकों का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब उपभोक्ताओं को यह सब भुगतने के लिए बाध्य होना पडेगा। डिजिटल लेन देन से देश को विकास की राह पर ले जाना अच्छी सोच हैं, लेकिन इस सोच को उपभोक्ता पर लादना तानाशाही रवैया कहलाएगा।
बैंक द्वारा न्यूनतम बैलेंस रखने के नियम पेंशनभोगी पर भी लागू होगा। यहां यह ध्यान रखना जरूरी हैं कि पेंशनभोगी, व्यक्ति पेंशन पर ही आश्रित रहता हैं। उसकी जीवीकापार्जन के लिए हर माह मिलने वाली पेंशन राशि भी कम पडती हैं। वह किस प्रकार न्यूनतम बैलेंस रख पाएगा। इसी प्रकार बैंक का यह आदेश विद्यार्थियों पर भी लागू होता हैं। पढ़ रहे विद्यार्थियों के खाते में उनके माता पिता माह में खर्च होने वाली राशि अपना पेट काटकर जमा करते हैं । कई बार गरीब विद्यार्थियों के खाते में बैलेंस शून्य होना स्वाभाविक हैं। वो कैसे अपने खाते में न्यूनतम राशि रखेगा, यह बैंक ने सोचा तक नहीं हैं। केंद्र द्वारा और राज्य सरकार द्वारा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के कारण अब यह हो रहा हैं कि मजदूरो , हम्मालों , छोटे कर्मचारियों को भी नगद राशि में उनका भुगतान नहीं करते हुए उनके बैंक खातों में राशि जमा की जा रही हैं। बैंक के इस नियम से उन पर क्या बितेगी ? यह वही बता सकते हैं।
वर्तमान में 31 करोड़ खाताधारक हैं । ये खाताधारक केवल एसबीआई के ही हैं। अभी यह नियम एसबीआई ने लागू करने की कोशीश की हैं। धीरे धीरे अन्य बैंक भी इसे अपना कर अपनी तिजोरी भरने का प्रयास करेंगे। शासकीय बैंको में जब यह हाल हो जाएंगे तो सहज कल्पना की जा सकती हैं कि प्राइवेट बैंको के क्या हाल होंगे ? वे सरकारी बैंको से ज्यादा न्यूनतम बैलेंस रखने का प्रयास करेगी और पेनल्टी भी अधिक वसूलेंगे। इस पर किसी की कोई रोक नहीं होगी।
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और वित मंत्री श्री अरूण जेटली को चाहिए कि वे लोगों की भावनाएं समझ, उपभोक्ताओं की सुविधाएं देंखे , पेंषनभोगी, विद्यार्थियों और गरीबों के हालात को देखे और तुरंत ही कारवाई करें , ताकि बैंक 1 अप्रैल से खातो में न्यूनतम बैलेंस का नियम लागू नहीं कर पाए। यही आम जनता की उनसे अपेक्षा हैं।