शहीद की बेटी गुरमेहर कौर : शांति दूत
डॉ. चंदर सोनाने
हमारे देश में कुछ लोग ऐसे होते है, जिन्हें बिना पूरे तथ्यों की जानकारी प्राप्त किए टिप्पणी करने में विशेषज्ञता हासिल होती हैं । बिना किसी बात के तथ्यों की जांच किए अशालीन और अभद्र टिपपणी करने से वे बाज नहीं आते हैं । ऐसा ही वाक्या हाल ही में देखने और पढ़ने में आ रहा हैं। सन् 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर ने एक वीडियो बनाया हैं। कुल 4 मिनट 24 सेकंड के इस वीडियो में कुल 36 स्लाइड हैं। इस समस्त 36 स्लाइडों को देखने से यह बात साफ और स्पष्ट होती हैं कि शहीद की बेटी ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए यह मुहिम छेडी हैं। समस्त स्लाइड को देखने पर यही कहा जा सकता हैं कि गुरमेहर कौर ने भारत पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि विश्व को शांति का संदेश दिया हैं। एक तरह से यह कहा जा सकता हैं कि वह शांति का दूत हैं।
किंतु कतिपय लोगों ने उन 36 स्लाइडों में से केवल कुछ ही स्लाइड चुनकर नफरत की चिंगारी को फैलाने का निंदनीय प्रयास किया हैं। उन्हें युद्ध और शहीदों की लाशों पर राजनीति करनी हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने कुछ चुनी हुई स्लाइडों को ही देखकर गुलमेहर कौर को नुकसान पहुंचाने , जान से मारने और बलात्कार जेसी घिनौनी धमकी भी दे दी हैं। इसकी जितनी भी निंदा की जाए , वह कम हैं। हमें हर बात को समग्रता में ही देखना चाहिए। सम्यकता से ही किसी भी चीज के साथ न्याय किया जाता है।
आईये , देखते है शहीद की बेटी गुरमेहर कौर ने अपनं वीडियों की समस्त 36 स्लाइड में क्या क्या कहा हैं ? हम समस्त 36 स्लाइड को क्रमवार देखते हैं-
1ः Hi
2ः मेरा नाम गुरमेहर कौर है.
3ः मैं जालंधर की रहने वाली हूं.
4ः ये मेरे पापा कैप्टेन मंदीप सिंह हैं. (कैप्टेन मंदीप सिंह की तस्वीर दिखाते हुए.)
5ः वे 1999 के कारगिल युद्ध में मारे गए थे.
6ः जब उनकी मौत हुई तब मैं सिर्फ दो साल की थी. मेरे पास उनकी बहुत कम यादें हैं.
7ः मेरी अधिकतर यादें यही हैं कि पिता का न होना कैसा होता है.
8ः मुझे यह भी याद है कि मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितनी नफरत करती थी. क्योंकि उन्होंने मेरे पापा को मारा था.
9ः मैं मुलसमानों से भी नफरत करती थी क्योंकि मुझे लगता था कि सभी मुसलमान पाकिस्तानी होते हैं.
10. जब मैं 6 साल की थी, मैंने बुर्का पहने एक औरत पर हमला करने की कोशिश की थी.
11ः क्योंकि कुछ अजीब कारणों के चलते मुझे लगा कि वह भी मेरे पापा की मौत की जिम्मेदार है.
12ः तब मेरी मां ने मुझे संभाला और मुझे समझाया कि..
13ः पाकिस्तान ने मेरे पापा को नहीं मारा, जंग ने उन्हें मारा है.
14ः यह समझने में मुझे समय लगा. लेकिन अब मैंने अपनी नफरत को त्यागना सीख लिया है.
15ः यह आसान नहीं था, लेकिन यह मुश्किल भी नहीं है.
16ः अगर मैं ये कर सकती हूं तो आप भी कर सकते हैं.
17ः आज मैं भी एक सिपाही हूं, बिलकुल अपने पापा की तरह.
18ः मैं हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए लड़ रही हूं.
19ः क्योंकि अगर हमारे बीच जंग नहीं होती, तो मेरे पापा आज यहां होते.
20ः मैं यह विडियो इसलिए बना रही हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि दोनों देशों की सरकारें अब दिखावा बंद करें.
21ः और समस्या को सुलझाएं.
22ः अगर फ्रांस और जर्मनी दो विश्व युद्ध लड़ने के बाद भी दोस्त बन सकते हैं
23ः अगर जापान और अमरीका अपना इतिहास पीछे छोड़ते हुए एक साथ प्रगति के लिए काम कर सकते हैं
24ः तो फिर हम क्यों नहीं?
25ः अधिकतर हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी शांति चाहते हैं, युद्ध नहीं.
26ः मैं दोनों देशों की नेतृत्व क्षमताओं पर सवाल कर रही हूं.
27ः हम थर्ड वर्ल्ड का नेतृत्व लेकर फर्स्ट वर्ल्ड देश बनने का सपना नहीं देख सकते.
28ः प्लीज, अपने प्रयासों में सुधार करें, एक-दूसरे से बात करें और यह काम पूरा करें.
29ः राष्ट्र द्वारा प्रायोजित आतंकवाद बहुत हो चुका.
30ः राष्ट्र द्वारा प्रायोजित जासूस बहुत हो चुके.
31ः राष्ट्र द्वारा प्रायोजित नफरत अब बहुत हो चुकी.
32ः बॉर्डर के दोनों तरफ बहुत लोग मारे जा चुके हैं.
33ः अब बहुत हो चुका है.
34ः मैं एक ऐसी दुनिया में रहना चाहती हूं जहां और कोई गुरमेहर कौर न हो जो अपने पापा को मिस करे.
35ः मैं अकेली नहीं हूं, मेरे जैसे कई लोग हैं.
36ः# Profile for Peace
शहीद की बेटी गुरमेहर कौर की देखी आपने सभी 36 स्लाइड ? गुरमेहर कौर ने क्या गलत कहा हैं ? विश्व में दो देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए नोबल का शांति पुरस्कार भी दिया जा चुका हैं। यह हमें पता होना चाहिए। शहीद की बेटी ने भारत और पाकिस्तान के बीच स्थाई शांति की अपील की हैं। कोई गुनाह नही किया हैं। शहीद की बेटी की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम हैं। हमें हर बात को समग्रता से देखकर ही टिप्पणी करना चाहिए। यह हम देशवासियों को अच्छी तरह समझने की जरूरत हैं । सोशल मीडिया का कारगर उपयोग होना चाहिए। न कि दुरूपयोग। यह बात अब हम देशवासियों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, ताकि भविष्य में फिर कभी किसी शहीद की बेटी के साथ अन्याय नहीं होने पाये।
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