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ये सड़क खुद ही हो जाती है रिपेयर


भारत में गदंगी के साथ खराब सड़कों का आलम देख जनता हमेशा से ही परेशान रहती है। इन खराब दुर्दशा की सड़कों का असर वर्षा के समय देखने को मिलता है, जिससे एक्सीडेंट होने की संभवाना बढ़ जाती है। इन खराब सड़कों को भले ही कितना भी पैसा लगा कर ठीक किया जाए पर कुछ समय के बाद ही ये सड़के दोबारा से गड्डों में तबदील हो ही जाती है। लेकिन अब जल्द ही इन समस्याओं से आपको निजात देने के लिए भारत के एक प्रोफेसर ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। डॉ. नेमकुमार बंथिया जो कि कनाडा में रहते थे, अब वो भारत आकर एक नई तकनीक की मदद से ऐसी सड़कों का निर्माण कर रहें हैं, जो बनने के बाद खुद-ब-खुद रिपेयर भी हो जाती हैं। भले ही सुने में आपको अंचभा सा लगे, पर इस नामुमकिन काम को मुमकिन में बदला है डॉ नेमकुमार बंथिया और उनकी टीम ने। उन्होंने इस सेल्फ-रिपेयरिंग सड़क का निर्माण करके भारत को बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाई है।

नागपुर से पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. नेमकुमार बंथिया इन दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया मे सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के पद पर आसीन हैं। डॉ. नेमकुमार 2006 से मजबूत सड़कों को बनाने एवं खुद से रिपेयर होने वाली सड़कों विषय पर काफी समय से रिसर्च कर रहे थे। अपनी रिर्सच में उन्होंने सड़कों की मजबूती के लिए स्प्रेड फाइबर नाम के मजबूत पॉलीमर का उपयोग किया था। काफी रिसर्च के बाद उन्होंने एक ऐसी तकनीक का निर्माण किया जिसके द्वारा टूटी-फूटी सड़क की रिपेयरिंग का काम अपने आप से हो पाना संभव हो सका। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि काफी कम लागत के साथ काफी लंबे समय तक बनने वाली इस मजबूत सड़क का काम कर्नाटक के थोंड़ेबावी गांव में 2014 में ही शुरू किया गया था। यह सड़क गर्मी और बारिश दोनों तरह के मौसम में बिना किसी समस्या के बची रहेगी। आज के समय का यह सबसे अच्छा सफल प्रोजेक्ट रहा है।

इन सड़कों को बनाने के लिए प्रोफसर बंथिया ऐसे फाइबर का उपयोग करते हैं जो ग्रीनहाउस गैसेस के उत्सर्जन से सड़क को बचाती है। इसके अलावा यह सड़क वर्षा के समय में पानी को अपने में समा लेती है और दरारों को भरती है।

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