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चिंताछोड़, चिंतन करे



ईश्वर की शक्ति में विश्वास रख जीवन को सफल बनाए
जब ईश्वर अपने साथ है तो डरने की क्या बात है

(- श्री आशुतोष महाराज जी)

    एटम बमों, मिसाइलों और ध्वंसक हथियारों ने हवा में तैरती चिंता को जन्म दिया है। ‘हवा में तैरती चिंता’ - हमारे युग के डर को वर्णित करने का सटीक तरीका है । हम दरअसल यह जानते ही नहीं कि हम किस चीज से डरते हैं । आज ज्यादातर लोग एक अजीब से तनाव से ग्रस्त हैं । हम इतनी सारी चीजों से डरते हैं कि किसी एक चीज का वर्णन करना निरर्थक लगता है । डर बादल की तरह मंडराता है और हमारे हर काम पर अपनी काली छाया डालता है।
    हमें विचारों के डर और दुविधा की धुंध से उपर उठना चाहिए । हमें चिंता और तनाव से उपर उठकर ऐसे स्तर पर पहुँचना चाहिए, जहाँ हम स्पष्टता और तर्क संगत तरीके से सोच सकें । डर हमारी खुशी का दुश्मन है। यह हमारी सोचने की क्षमता पर बुरा असर डालता है । इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है।जीवाणु और विषाणु (वायरस) तनाव ग्रस्त लोगो को आसानी से रोगी बना सकते हैं । लेकिन इससे दहशत में न आएँ। कारण कि डर पर विजय पाने की शक्ति आप में हैं।
    चिंता और डर से सीधा मुकाबला करने से कोई फायदा नहीं होता । अपने दिमाग में इतनी आस्था भर लें कि उसके तेज बहाव में डर भी बह जाए। ईश्वर की शक्ति आप के लिए वह काम करेगी, जो आप अपने लिए नहीं कर सकते।आपका काम उसकी शक्ति में विश्वास करना और उसके प्रति समर्पण करना है । उसकी जबरदस्त शक्ति के द्वारा आप डर से निजात पा सकते हैं । लेकिन सवाल यह है कि अपने मस्तिष्क में इतनी आस्था भरी कैसे जाए ?
    ‘मैं अकेला नहीं हूँ , ईश्वर मेरे साथ है ! ’इसदृढ़ विश्वास को भीतर जन्म दें । दुनिया का कोई डर इस विचार से बड़ा नहीं है । ईश्वर सच में ही आपके साथ है । इसलिए उसकी उपस्थिति महसूस करने की कोशिश करें । ब्रह्मज्ञान ईश्वर की उपस्थिति का प्रत्यक्ष अहसास कराने में पूर्ण सक्षम है । दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, अखंड ज्ञान मासिक पत्रिका से उद्ग्रित लेख!

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