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मिल बांचे अभियान में लगे हाथ स्कूलों की हालातों का सर्वेक्षण भी हो जाता



संदीप कुलश्रेष्ठ
 
                 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में 18 फरवरी को पूरे प्रदेश में मिल बांचे अभियान चलाया । एक दिवसीय इस अभियान में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रदेश भर में 2 लाख से अधिक वॉलंटियर्स ने अपने नाम दर्ज करवाए थे। अभियान की खबरें जो आ रही हैं, उसमें मंत्री , सांसद , विधायक और अफसरों ने स्कूलों में जो पढ़ाया वहीं आ रहा हैं। किंतु दो लाख वॉलंटियर्स के अनुभव देखने और पढ़ने मे नहीं मिले। यदि इन दो लाख वॉलंटियर्स को यह सर्वेक्षण करने के लिए भी कहा जाता कि वे स्कूलों की हालात को भी देखें और रिपोर्ट करें, तो लगे हाथ एक विशाल सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी सरकार को मिल जाती । इसके आधार पर राज्य सरकार स्कूलों में सुधार कर सकती थी, कितु वह इससे चूक गई। 
               मिल बांचे अभियान की खबरों में स्कूलों की भारी दूदर्शा की खबर मिली। साथ ही शिक्षा और शिक्षकों का स्तर अत्यधिक चिंता का विषय हैं , यह भी सुनने को मिला। यह भी पता चला कि प्रदेश में 4,472 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। यही नहीं 17,649 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक हैं। यह अपने आप में चिंता की बात हैं। किंतु यदि वॉलंटियर्स को यह भी कहा जाता कि वह अपने अनुभव के आधार पर यह बताए कि स्कूलों की हालात को सुधारने के लिए और क्या किया जाना जरूरी हैं ? तो यह बहुत अच्छा अनुभव राज्य सरकार को मिलता, जिसका लाभ राज्य सरकार उठा सकती थी, किंतु वह इससे वंचित रह गए।
               मिल बांचे अभियान से मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूलों से लोगों को जोडने का महत्वपूर्ण प्रयास भी कर दिखाया। इस अभियान से पहली बार हुआ हैं कि लोग सरकारी स्कूलों से मन से जुडे और उन्होंने खुद सरकारी स्कूलों में एक दिन पढ़ाने के लिए अपना नाम दर्ज करवाया। दो लाख से अधिक लोगों को सरकारी स्कूलों से जोड़कर मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया । इसके लिए मुख्यमंत्री बधाई के पात्र कहे जा सकते हैं। 
                किंतु सरकारी स्कूलों की क्या स्थिति हैं ? यह हम सबसे छुपी हुई नहीं हैं। कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं , जहां के 5 वीं के बच्चे को कक्षा 2 की किताब पढ़ना नही आता । कई माध्यमिक विद्यालय के छात्र ऐसे हैं ? जिन्हें प्राथमिक स्तर की शिक्षा का भी ज्ञान नही हैं। शिक्षा के स्तर में आई यह गिरावट सबके लिए चिंता का विषय हैं । शिक्षा का स्तर कैसे सुधरे ? इसके अनेक सुझाव हो सकते हैं। शिक्षाविदों के इस संबंध में अपने तर्क हैं। किंतु यह अपने आप में चिंता का विषय हैं कि अनेक सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 से पांचवी तक केवल एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चल रहे हैं। कल्पना की जा सकती हैं कि एक क्लास में अनेक विषय होते हैं। कुल पांच कक्षाओं में सभी विशयों को कैसे एक शिक्षक पढ़़ा सकता हैं ? यह समझ से परे हैं । इसी प्रकार प्रदेश में ऐसे अनेक स्कूल भी हैं जहां शिक्षक के स्थानांतरण होने पर भी वहां दूसरे शिक्षक नहीं गए ।  प्रदेश में ऐसे अनेक सरकारी स्कूल हैं ? जहां एक भी शिक्षक नही हैं। यह राज्य सरकार के लिए शर्म और चिंता का विषय हैं। इस दिशा में तुरंत कारवाई करने की नितांत आवश्यकता हैं।
                  प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों की सही हालातों को जानने के लिए भी एक अभियान आरंभ करें। उससे पता चले कि किन स्कूलों में भवन नहीं हैं या अपर्याप्त जगह है। अभियान से यह भी पता चले के किस स्कूलों में कितने शिक्षकों की आवश्यकता हैं ? और कुल कितने शिक्षक पद रिक्त हैं ? शिक्षा का स्तर क्या हैं ? और इसे सुधारने के लिस क्या किया जा सकता हैं । इससे वास्तविक स्थिति सामने आ जाएगी तो उसे दूर करने का भी साथ ही साथ सरकार प्रयास करें तो यह गरीब बच्चों के लिए सौगात ही होगा, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए अभिषप्त हैं। यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता हैं कि यदिनींव ही मजबूत नहीं होगी तो इस पर भवन कैसे बनाया जा सकता हैं ? अतः इस  नींव को मजबूत करने की आज नितांत आवश्यकता हैं। 
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