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बिना फेफड़ों के 6 दिन ज़िंदा रही ये महिला


उनके पास ज़िंदा रहने के लिए के कुछ ही घंटे थे और कोई कुछ नहीं कर सकता था.
अप्रैल 2016 में मेलिसा बेनुआ को फ्लू के बाद फेफड़ों में गंभीर संक्रमण के कारण कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया.
बेनुआ को जन्म से ही सिस्टिक फिब्रियोसिस है, एक ऐसी बीमारी जिसमें फेफड़ों में बलगम भर जाता है और इससे पाचक तंत्र प्रभावित होने लगता है.

कनाडा में रहने वाली 32 साल की मेलिसा के शरीर पर एंटीबायोटिक्स का कोई असर ही नहीं हो रहा था और संक्रमण पूरे शरीर में फैल रहा था जिससे उन्हें सेप्टिक हो गया और उनका ब्लड प्रेशर काफी कम हो गया.

जैसे-जैसे ब्लड प्रेशर गिरता गया, उनके शरीर के हिस्सों ने एक के बाद एक काम करना बंद कर दिया. मेलिसा ने बीबीसी को बताया, "मेरे परिवार को बताया गया कि मैं कुछ ही घंटों में इंटेंसिव केयर यूनिट में मरने वाली हूं. "
वो बताती हैं कि थोड़ी देर बाद डॉक्टर एक दूसरा सुझाव ले कर आए, "एक ऐसा रास्ता जिसे किसी पर आजमाया नहीं गया था और लेकिन ये रास्ता काम करे इसकी थोड़ी संभावना भी थी."

जान बचाने का दूसरा रास्ता
डॉक्टरों ने कहा कि दोनों फेफड़ों को पूरी तरह बाहर निकाल लिया जाए.
टोरंटो अस्पताल के डॉक्टर और यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क के नील फर्गूसन बताते हैं, "यह मुश्किल था क्योंकि हम एक ऐसे काम के बारे में बात कर रहे थे जिसे पहले कभी किसी ने नहीं किया था. और इसलिए काफी कुछ था जो हम नहीं जानते थे."

मसलन उन्हें नहीं पता था कि वो सही ब्लड प्रेशर रख पाएंगे या नहीं और ऑपरेशन के दौरान ऑक्सीजन की सही मात्रा रख पाएंगे या नहीं. उन्हें नहीं पता थी कि एक बार सीने के भीतर से फेफड़े निकालने के बाद खाली जगह से ख़ून निकलना तो नहीं शुरू हो जाएगा.
लेकिन उन्हें ये ज़रूर पता था कि फेफड़े निकाल लेने से वो संक्रमण को ज़रूर रोक पाएंगे.

मेलिसा का ऑपरेशन करने वाले तीन डॉक्टरों में से एक शाफ काशफज़ ने कैनेडियन मीडिया को बताया, "हमारे लिए ये जानना बेहद मददगार था कि वो कुछ घंटों में ही मरने वाली हैं. इससे हमें ये कहने की हिम्मत मिली कि अगर हमें उन्हें बचाना है तो हमें सब कुछ ठीक-ठीक करना होगा."
नील फर्गूसन कहते हैं, "उनके फेफड़े दोबारा स्वस्थ नहीं हो सकते थे, ट्रांसप्लांट के ज़रिए ही एक उम्मीद थी."

नए फेफड़ों का इंतज़ार
मेलिसा बताती हैं, "वो मेरे फेफड़े निकालने वाले थे और मुझे जब तक नए या दूसरे फेफड़े ना मिल जाएं मुझे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखने वाले थे."
उनके पति क्रिस जानते थे कि ये ऑपरेशन एक प्रयोग है, लेकिन उन्होंने इसके लिए हामी भर दी. वो कहते हैं, "मैं जानता हूं वो अपनी आख़िरी सांस तक लड़ते रहना चाहती होगी."
मेलिसा का ऑपरेशन 9 घंटे चला. डॉक्टरों के अनुसार उनके फेफड़ों में इतना बलगम भर गया था कि वो फुटबॉल की तरह फूल गए थे और सख़्त हो गए थे.

डॉक्टरों का कहना था, "उन्हें निकालना आसान नहीं था. फेफड़े निकालने के बाद ब्लड प्रेशर गिरना शुरू हो गया, फिर 20 मिनट बाद ही हम उसे सामान्य कर सके."
मेलिसा बताती हैं, "ऑपरेशन के बाद मेरे ऑर्गन सामान्य होने लगे. मेरी कुछ दवाइयां भी कम कर दी गईं."
डॉक्टरों ने एक ऑर्टिफिशियल फेफड़े को मेलिसा के दिल से जोड़ दिया और इसके साथ ही वो नए फेफड़ों का इंतज़ार करने लगीं.
उन्हें कोई जानकारी नहीं थी कि उनका इंतज़ार कितना लंबा होने वाला है और वो इतने समय तक बचेंगी भी या नहीं.

छह दिन के बाद उनका लंग ट्रांसप्लांट किया गया. उसके बाद से वो स्वस्थ हैं.
मेलिसा कहती हैं, "एक एक बड़ा कदम था क्योंकि ये नया था. पता नहीं था कि जब मैं फिर जागूंगी तो पहले जैसी रहूंगी या नहीं. लेकिन फिर मैं ठीक हो गई क्योंकि इसने काम कर दिया और मेरी जान बच गई."
वो कहती हैं, "आप मौत के मुंह से गुज़र कर फिर से ज़िंदा लौटते हैं. मैं शुक्रगुज़ार हूं और ख़ुश हूं."

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