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आज भी कई रूपों में रावण घूम रहे हैं- साध्वी मीरा दीदी



उज्जैन। रावण के बुरे कर्मों के कारण उसके कुल का नाश हो गया, वह न तो खुद संभल सका न अपनी संतानों को सद्गुण दे पाया। धर्म की राह पर चलने वाले भाई विभीषण का उसने तिरस्कार किया। परिणाम स्वरूप अपने पूरे कुल का नाश करवा बैठा। आज भी कई रूपों में रावण घूम रहे हैं, लेकिन न तो खुद संभल रहे न अपनी आने वाली पीढ़ी की चिंता है। घर का मुखिया यदि सही राह पर चले तो पूरा परिवार सुखमय जीवन जीता है इसलिए सत्य की राह पर चलो, अंत तो तुम्हारा भी होना है, तुम्हारे हाथ में है तुम्हे राम की तरह पूजना है या रावण की तरह तिरस्कृत होना। 

उक्त बात नागदा-उन्हेल रोड़ स्थित ग्राम सोडंग में भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव एवं मंदिर निर्माण की प्रथम वर्षगांठ पर आयोजित श्रीराम कथा के समापन अवसर पर साध्वी मीरा दीदी ने कही। संयोजक देवीलाल चौधरी एवं रामसिंह पटेल के अनुसार यज्ञाचार्य पं. दीपक शर्मा के आचार्यत्व में पंचकुंडीय यज्ञ की पूर्णाहुति हुई वहीं श्रीराम कथा के समापन पर महाप्रसादी का आयोजन किया गया। रात में रामलीला के मंच पर रावण वध हुआ और भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ। 

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