top header advertisement
Home - धर्म << 50 सालों से एक ही स्थान पर विराजित मूर्तियों का मंत्रोच्चार के साथ बदला स्थान

50 सालों से एक ही स्थान पर विराजित मूर्तियों का मंत्रोच्चार के साथ बदला स्थान



उज्जैन। शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर लक्ष्मीनगर में मुनि प्रज्ञासागरजी के सानिध्य में शुक्रवार को 50 साल से भी अधिक एक ही स्थान पर रखी उनके द्वारा उस स्थान से मूर्ति हटाकर अन्य स्थान पर रखी गई। जिसमें समाज के सैकड़ों लोगों ने धोती पंछे बांधकर मूर्तियों को स्थापित कराया। यहां पर भव्य नया जिनालय बनना है इस हेतु यह आयोजन रखा गया। जिसमें हजारों की संख्या में समाजजन मौजूद थे। 

मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल के अनुसार मुनि प्रज्ञासागरजी महाराज पैदल विहार करते हुए सुबह 8.30 बजे शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंचे। जहां धर्म सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस काल में भगवान और तीर्थंकरों का जन्म नहीं होता है। इसलिए भगवान के मंदिरों को बनाकर उनके रास्तों का अनुसरण करने का एक माध्यम मंदिरों से होता है। मंदिरों के माध्यम से ही जीने की कला सीखना चाहिये। जिस प्रकार हम मंदिर में आकर कोई भेदभाव नहीं रखते है सब लोग सामान्य रूप से भगवान का दर्शन लाभ पाते हैं उसी प्रकार घर में भी एकजुट होकर रहना चाहिये उन्होंने कहा कि साहित्य और जिनवाणी की विशेष देखभाल करना चाहिये। जिस प्रकार कॉपी, किताब, अखबारों की रद्दिया उपयोग में नहीं आती है लेकिन जिनवाणी इतिहास जीवन पर्यंत होता है। वह कभी रद्दी नहीं होता। चित्र अनावरण अशोक जैन चायवाला, सुशील लुहाड़िया, लालचंद जैन, महेश जैन ने किया एवं दीप प्रज्जवलन अरविंद कासलीवाल, विनोद बड़जात्या, शिखरचंद लुहाड़िया, सचिन कासलीवाल आदि ने किया। मंच संचालन नीलम लुहाड़िया ने किया। विशेष पंडितों के साथ मुनि प्रज्ञासागर ने मंत्र उच्चारण कर मूर्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवर्तन किया। संतोष जैन इंजीनियर, पी.सी. जैन, मनोज जैन, आशीष जैन, संपूर्ण मंदिरों के ट्रस्टी, समाजजनों ने सहयोग किया। मुनिश्री का पाद प्रक्षालन विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया गया। तत्पश्चात संपूर्ण समाज का वात्सल्य भोज भी हुआ। दोपहर में मुनि प्रज्ञासागरजी महाराज तपोभूमि के लिए निकले जहां महेश जैन सुपरफार्मा, धर्मेन्द्र सेठी, भागचंद सोगानी, दीपक जैन, नरेन्द्र बिलाला के यहां पाद प्रक्षालन एवं आरती की गई। तपोभूमि में भव्य आरती का आयोजन भी हुआ। 12 फरवरी को मुनि प्रज्ञासागरजी महाराज की तपोभूमि से कर्नाटक के श्रवण बेलगोला में 2018 में 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा प्रारंभ होने जा रही है जो गुजरात एवं महाराष्ट्र के अन्य शहरों से होते हुए श्रवण बेलगोला में संपन्न होगी। चूंकि श्रवण बेलगोला में 12 वर्ष में एक बार बाहुबली भगवान की भव्य प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक होता है जिसमें हजारों साधु संतों के साथ, हजारों माताजी एवं आर्यिकाओं के सानिध्य में यह महामस्तकाभिषेक होता है जिसमें लाखों लोग देश विदेश से सम्मिलित होते हैं।

 

Leave a reply