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वैचारिक क्रांति की संवाहक बनी यात्रा सोच और मानसिकता बदली, अनूठी यात्रा के 50 दिन पूरे



उज्जैन । 144 दिनों की "नमामि देवि नर्मदे" -सेवा यात्रा के 50 दिन पूरे हो गये हैं। प्रदेश की जीवनदायिनी नदी 'नर्मदा' के संरक्षण को जन-आन्दोलन बनाने के लिए शासन द्वारा अभिकल्पित एवं समन्वित यह यात्रा लगातार अपने उद्देश्य को पूरा करने की ओर अग्रसर है। चाहे वह नर्मदा नदी के संरक्षण की बात हो या उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग की। नदी में प्रदूषण के कारण और रोकथाम के उपायों को जनता तक पहुँचाने और पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जागरूकता पैदा करने में यात्रा एक वैचारिक क्रांति की सूत्रधार बनी है।

यात्रा 11 दिसंबर 2016 से अनूपपुर जिले के अमरकंटक से शुरू हुई थी। सोलह जिलों तथा 51 विकास खण्ड के लगभग 600 गाँव से होती हुई यात्रा 3334 किलो मीटर का मार्ग 144 दिनों में तय करते हुए पुन: 11 मई  को अमरकंटक में समाप्त होगी।

पचास दिनों में लगभग 1220 किलोमीटर की यात्रा तय की गई है। यात्रा 8वें जिले हरदा में जारी है। नर्मदा सेवा यात्रियों के आस्था और विश्वास से चमकते चेहरों की आभा से अदभुत छटा देखते बन रही है। क्या शिक्षित, क्या अशिक्षित, सभी नर्मदा माँ की स्तुति में मस्त-मगन दिख रहे हैं। नैसर्गिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति जन-चेतना के लिए शुरू की गई यह यात्रा हर वर्ग का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हो रही है। इसमें शामिल हर जाति, धर्म और समुदाय के किसान, मजदूर, व्यापारी, छात्र-छात्राएँ, सरकारी और गैर-सरकारी चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी सबका एक ही लक्ष्य है, माँ नर्मदा की धारा को प्रबल बनाना। स्थानीय लोग भी शामिल होकर यात्रा के पवित्र उद्देश्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

यात्रा जब किसी गाँव में पहुँचती है तब ऐसा लगता है जैसे साक्षात माँ नर्मदा का प्रवाह उस गाँव में पहुँच गया हो। महिला-पुरुष गाँव की सीमा पर यात्रा की अगवानी करते हैं। उमंग किसी पर्व और उत्सव से कई गुना ज्यादा होती है। महिलाएँ और बालिकाएँ सिर पर दीपक कलश धरे घर के द्धार पर तरह-तरह के रंगों और फूलों की पंखुड़ियों से रांगोली सजाकर यात्रियों का अभिनंदन करती हैं।

यात्रा के दौरान 1 लाख 20 हज़ार से अधिक किसानों ने लगभग 1 लाख 50 हजार  हेक्टयेर क्षेत्र में वृहद वृक्षारोपण की पहल शुरू कर दी है और 8 लाख 500 से अधिक लोगों ने नशामुक्ति का संकल्प लिया। सांकेतिक रूप से 14309 पौधे लगाए भी जा चुके हैं।

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